स्वतंत्र बोल
रायपुर 22 जनवरी 2025. लोक न्यास ग्राम सेवा समिति में चल रहे फर्जीवाड़े की परते खुल रही है। ट्रस्ट में नौ में से आठ ट्रस्टियो की मौत के बाद कथित मंत्री अजय तिवारी ने ट्रस्ट के पुर्नगठन के लिए आवेदन किया है। जिसके लिए वर्तमान में मौजूद एक वरिष्ठ ट्रस्टी से इस्तीफा लिया गया है। ट्रस्ट गठन के दौरान के कुल महंत समेत कुल 9 ट्रस्टी ग्राम सेवा समिति में शामिल थे, जिसमे विशाल चंद्राकर को छोड़कर सभी आठ ट्रस्टियो की मौत हो चुकी है। 91 वर्षीय श्री चंद्राकर अस्वस्थ्य है, उनसे इस्तीफा लिया गया है। जिसके बाद नए सिरे से ट्रस्ट का पुनर्गठन किया जायेगा।
साल 1948 में रजिस्टर्ड ट्रस्ट में वर्तमान ट्रस्टियो की मौत और इस्तीफे के बाद ट्रस्ट में कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है, ऐसे में ट्रस्ट भंग हो सकता है। नियमो के जानकारों के अनुसार छत्तीसगढ़ सार्वजनिक न्यास अधिनियम 1951 अंतर्गत ट्रस्ट में कोई भी पदाधिकारी जीवित या सक्रीय नहीं होने पर पंजीयक रिसीवर की नियुक्ति कर सकता है, ताकि ट्रस्ट का संचालन हो और उसके चल-अचल सम्पतियो की खरीदी बिक्री ना हो।
वर्षो से जारी अनियमितता-
साल 1948 में ग्राम सेवा समिति पंजीयन क्रमांक 35 का गठन महंत लक्ष्मी नारायणदास ने किया था। तब ट्रस्ट में राजधानी के विद्वान, राजनितिक और सामाजिक क्षेत्रो में प्रतिष्टित व्यक्तियों को ट्रस्टी बनाया गया था। महंत की मौत के बाद जैतूसाव मठ के अजय तिवारी ने कमान संभाला और साल 2007 में ट्रस्ट के स्वयं भू मंत्री बन गए। उसके बाद से ट्रस्ट में जो खेला शुरू हुआ जो अब तक जारी है। पुष्ट जानकारी अनुसार अजय तिवारी के ट्रस्ट में मंत्री बनने का कोई अधिकृत दस्तावेज नहीं है, साल 2007 में कथित तौर पर श्री तिवारी के मंत्री पद संभालने के बाद साल 2008 में आमासिवनी की बेशकीमती साढ़े 19 एकड़ जमीन बिल्डर को बेचीं गई।
स्वतंत्र बोल ने ग्राम सेवा समिति के वरिष्ठ ट्रस्टी विशाल चंद्राकर को ढूंढा। 91 वर्षीय श्री चंद्राकर शारीरिक रूप से थोड़े कमजोर है। रिकार्डेड बातचीत में श्री चंद्राकर ने बताया कि
“महंत जी स्वर्गवास के बाद अजय तिवारी ने ट्रस्ट में अपना एकाधिकार कर लिया है और अपने विचारो के लोगो को शामिल कर ट्रस्ट की सम्पत्तियो को बेचा है…. पर दुर्भाग्य है कि शासन -प्रशासन दोनों ही इस पर कोई कार्यवाही नहीं करते। सबकी नजर ट्रस्ट की बेशकीमती जमीनों पर है, कुछ दिनों पहले अजय तिवारी द्वारा भेजे गए व्यक्ति ने उनसे इस्तीफा में दस्तखत लेकर गया है।”
