पब्लिक ट्रस्ट में ऐसे हो रहा खेला: आठ ट्रस्टियो की मौत, ट्रस्ट का रिकॉर्ड नहीं.. बिना अधिकार बेच डाले जमीन.. और अब भी पंजीयक मौन !

स्वतंत्र बोल
रायपुर 02 जनवरी 2024. लोक न्यास ग्राम सेवा समिति की बेशकीमती जमीन बिकती रही और जिम्मेदार खामोश रहे। साल 1948 में अस्तित्व में आये लोक न्यास ग्राम सेवा समिति पंजीयन क्रमांक 35 के नाम पर सैकड़ो एकड़ जमीने थी, जिसे भूमाफियाओ के साथ मिलीभगत कर बेच दिया गया। आमासिवनी की जमीनों के बिक्री की शिकायत होने के बाद जो जानकारी सामने बेहद चौकाने वाले है।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार ट्रस्ट में रजिस्टर्ड पदाधिकारी नहीं है, पूर्व में रहे सभी पदाधिकारियों की मृत्यु हो चुकी है, ट्रस्ट निर्माण के बाद से महंत लक्ष्मीनारायण दास, नंदकुमार दानी, हजारी लाल वर्मा, सूरज नारायण राजदेव, वेंकटेश कोहाड़े, पोपटलाल भाई, कांजीभाई राठौर और भिखारीलाल वर्मा को मौत हो चुकी है। ऐसे में अजय तिवारी स्वयं भू अध्यक्ष और मंत्री बन गए और ट्रस्ट की जमीनों को धड़ल्ले से बेचते रहे। जबकि लोक न्यास ट्रस्ट की जमीनों को कलेक्टर की अनुमति बिना नहीं बेचा जा सकता है। अजय तिवारी ने पूर्व ट्रस्टियो मौत होने पर राजधानी के रसूखदारो को ट्रस्ट में शामिल करने आवेदन किया था, जिसे फिलहाल ख़ारिज कर दिया दिया गया है।

ट्रस्ट की जमीनों का खेल: ट्रस्टी बनकर करोडो की जमीन को बेचा, शिकायत हुई तो नाम जोड़ने किया आवेदन..

ट्रस्ट का रिकॉर्ड नहीं-
साल 1948 में बने लोक न्यास ग्राम सेवा समिति का रिकॉर्ड पंजीयक कार्यालय सह अनुविभागीय कार्यालय में नहीं है, जबकि लोक न्यास अधिनियम की धारा 22 अंतर्गत ट्रस्ट संबंधी सम्पूर्ण दस्तावेज पंजीयक सार्वजनिक कार्यालय में होना आवश्यक है। अजय तिवारी ने 22 जून 2023 को विधिवत प्रस्ताव पारित कर ट्रस्ट में नाम जोड़ने का आवेदन किया। दैनिक समाचार पत्रों में इश्तहार भी प्रकाशन कराया पर ट्रस्ट डीड की कॉपी आवेदन में नहीं लगाया, जिसके चलते एसडीएम ने आवेदन ख़ारिज कर दिया है। दरअसल ट्रस्ट से जुड़े लोगो के पास ट्रस्ट संबंधी कोई भी रिकॉर्ड नहीं है, जिसका फायदा उठाकर जमीनों को बेचा जा रहा है। पंडरी में करोडो की कीमती जमीन को अग्रवाल को बेच दिया गया है।

पंजीयक सार्वजनिक न्यास मौन-
ट्रस्ट अधिनियम 1951 के प्रावधनो लोक न्यास पब्लिक ट्रस्ट का अध्यक्ष कलेक्टर होता है, पर मौजूदा समय में कलेक्टर ने अपना अधिकार एसडीएम को दे रखा है। जिसके बाद ट्रस्ट संबंधी नियमो के पालन के सम्पूर्ण जिम्मेदारी एसडीएम सह पंजीयक सार्वजनिक की होती है, पर राजधानी में बेहद गंभीर शिकायतों के बाद भी सार्वजानिक न्यास पंजीयक ने कोई कार्यवाही नहीं की है।

 

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