स्वतंत्र बोल
रायपुर 12 जनवरी 2025. श्री रामचंद्र स्वामी जैतूसाव मठ की जमीनों में फर्जीवाड़ा के आरोप और प्रत्यारोप के बीच नए खुलासे हो रहे है है। बीते 40 सालो में मठ की 107 एकड़ से अधिक जमीन बिक गई है, जबकि छत्तीसगढ़ सार्वजनिक न्यास अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ट्रस्ट की जमीनों की बिक्री नहीं हो सकती , उसके बाद भी धड़ल्ले से मंदिर ट्रस्ट की जमीने बेचीं गई। जैतूसाव मठ की धरमपुरा में करीब 200 एकड़ जमीने थी, जिसमे से 107 एकड़ जमीन बिक चुकी है, तो कुछ जमीनों पर रसूखदारों ने बलपूर्वक कब्ज़ा कर लिया है। ट्रस्ट के पास धरमपुरा में सिर्फ 65 एकड़ जमीन ही शेष है, जिसका कुछ दिनों पहले सीमांकन हुआ है।
दस्तावेजों के अनुसार ट्रस्ट की जमीने साल 1972 के बाद बेचीं गई। साल 1972 में तत्कालीन महंत से फेरहा राम साहू ने मठ की जमीन खरीदी, और बाद में उसे अलग अलग लोगो को बेच दिया। साल 1989 में आरके ग्रीन्स के भागीदार द्वारा जमीन खरीदी गई थी। जिसमे धरमपुरा का खसरा क्रमांक 302/1 का भाग रकबा 6.50 एकड़ जमीन मेसर्स आर-के ग्रीन्स भागीदार तेजप्रकाश अग्रवाल ने ख़रीदा है, जिस पर वर्तमान में परंपरा गार्डन (मैरिज पैलेस) बनाया गया है।
कलेक्टर के अनुमति बिना बिकी जमीन-
साल 1972 के बाद मठ की जमीनों का धड़ल्ले से बिक्री हुई। जिसके खिलाफ साल 2023 में कलेक्टर रायपुर से सप्रमाण शिकायत हुई जिस पर ;तत्कालीन कलेक्टर डॉ सर्वेश भूरे ने जाँच कराया। जाँच अधिकारी तत्कालीन एडीएम बीरेंद्र बहादुर पंचभाई ने सुनवाई की, संबंधितो को नोटिस जारी कर जवाब मांगा और पाया कि रजिस्ट्री नियमो के विपरीत की गई। जिसके बाद तत्कालीन एडीएम पंचभाई ने ऐसे आठ रजिस्ट्रियों को सार्वजनिक न्यास अधिनियम की धारा 14 अंतर्गत जाँच और कार्यवाही करने एसडीएम रायपुर को लिखा है। अधिनियम अनुसार सभी आठ रजिस्ट्री निरस्त हो जाएगी।
ग्राम सेवा समिति की जाँच को प्रभावित करने एकजुट रसूखदार, मठ की 107 एकड़ जमीन बिक गई
