स्वतंत्र बोल
दुर्ग 18 जनवरी 2025. जिला सहकारी बैंक दुर्ग में करोडो का गबन और आर्थिक अनियमितता करने वाले 9 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया है। बैंक के स्टाफ कमेटी द्वारा घोटालेबाज कर्मियों बर्खास्त कर बैंक की छवि सुधारने की कोशिश की है। बैंक प्रबंधन अनुसार सभी कर्मियों पर करोडो के गबन और घोटाले के आरोप थे, जिस पर लम्बे समय से कार्यवाही पेंडिग थी।
स्टाफ कमेटी ने शाखा प्रबंधक, समिति प्रबंधक, लिपिक और चपरासियों पर कार्यवाही की है। सभी मामले 2016 से 2023 है, बैंक प्रबंधन ने सभी दोषी कर्मियों को राशि जमा करने का अवसर दिया था, उसके बाद उनकी बर्खास्तगी कार्यवाही की है। बैंक की प्राधिकृत अधिकारी और कलेक्टर ने सभी कर्मियों को बर्खास्त करने आदेशित किया था। अधिकांश मामले बेमेतरा जिले से सम्बंधित है, सेवा सहकारी समिति नवागढ़, मारो, बालसमुंद, रनबोड, प्रतापपुर,साजा, थानखम्हरिया,हत्थाडाडु, गुंजेरा और अंधियारखोर के समितियों प्रबंधक और कर्मियों ने साढ़े चार करोड़ से अधिक का गबन कर बैंक को चूना लगाया था।
गड़बड़ी करने वाले कर्मियों को तत्कालीन सीईओ का सरंक्षण प्राप्त था, साल 2016 से 2023 तक अधिकांश समय अपेक्षा व्यास और एसके जोशी बतौर सीईओ पोस्टेड रहे। इन कर्मियों पर कार्यवाही नहीं करने से अपेक्षा व्यास की शिकायत दुर्ग बीजेपी के नेताओ ने पंजीयक सहकारिता विभाग से किया था।
इन्हे किया बर्खास्त-
शेषनारायण टोंडरे- तत्कालीन समिति प्रबंधक अंधियारखोर, हत्थाडाडु और नवागढ़.. इन पर 77 लाख 47 हजार 278 रुपये की गड़बड़ी का प्रमाणित।
श्यामसुंदर कश्यप- तत्कालीन समिति प्रबंधक मारो और गुंजेरा.. 92 लाख 90 हजार 903 रुपये गड़बड़ी प्रमाणित।
रामजी खांडे- तत्कालीन शाखा प्रबंधक बैंक नवागढ़, बालसमुंद,सम्बलपुर.. 9 लाख 92962 रुपये की गड़बड़ी।
डेरहाराम जोशी- समिति प्रबंधक नवागढ़ ,रनबोड, और प्रतापपुर.. 25 लाख की गड़बड़ी।
हीराधर मैत्री- जिला सहकारी बैंक थान खम्हरिया, खैरझिटी में 87 लाख 63 हजार का की गड़बड़ी।
राजाराम वर्मा- जिला सहकारी बैंक मारो और नवागढ़ में लिपिक रहते 24 लाख 54 हजार से अधिक की गड़बड़ी।
दीनबंधु पटेल- साजा, थानखम्हरिया हाँटराँका में पोस्टेड रहते 48 लाख 71 हजार से अधिक की गड़बड़ी।
सतीश यादव- देवजबीजा, साजा, केवतारा में पोस्टेड रहते 18 लाख 26 हजार से अधिक की गड़बड़ी।
कल्याण सिंह ध्रुवे- लिपिक बालोद में पोस्टेड रहते 2 लाख 64 हजार की गड़बड़ी।
कमेन्द्र वर्मा और नारायण यादव- दोनों चपरासी के पद पर कार्यरत थे, पर लम्बे समय से गायब थे।
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