स्वतंत्र बोल
रायपुर 09 सितंबर 2025. स्कूल शिक्षा विभाग में सप्लाई और टेंडर में बड़ा खेला चल रहा है। विभाग के लोक शिक्षण संचालनालय और समग्र शिक्षा में चुनिंदा सप्लायरों को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है। समग्र शिक्षा द्वारा जुलाई 2025 में प्रदेश के विभिन्न सरकारी स्कूलों के लिए करीब 118 करोड़ की लागत से खेल सामग्री खरीदने टेंडर जारी किया था, जिसे उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। बताते है कि इस टेंडर में समग्र शिक्षा के अधिकारियो ने चुनिंदा सप्लायरों को लाभ पहुंचाने टेंडर में ऐसे शर्ते जोड़ दिया था, जिससे छत्तीसगढ़ से बाहर की कंपनियां टेंडर में शामिल ना हो सके। इन शर्तो के चलते महाराष्ट्र दिल्ली की बड़ी और नामी कंपनियां शामिल नहीं हो स्की और विभागीय अधिकारियो ने काम अपने करीबी सप्लायरो को दे दिया था।
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टेंडर और उसके नियम-
दस्तावेजों के अनुसार 21 जुलाई 2025 को समग्र शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के 30477 प्राथमिक शालाओ, 13093 मिडिल स्कूल और 4691 हाई और हायरसेकेण्डरी स्कूलोंमें पढ़ने वाले बच्चो के लिए क्रिकेट बैट, बैडमिंटन, टेनिस, वजन मशीन सहित कुल 13 से लेकर २७तरह के खेल सामग्री सप्लाई करने का टेंडर जारी किया था। उक्त टेंडर की लागत करीब 40 करोड़ रुपये था। अधिकारियो ने स्कूल शिक्षा में लंबे समय से जमे सप्लायरों को काम देने टेंडर में एक शर्त कि छत्तीसगढ़ में 6 करोड़ रुपये के कार्यानुभव होना अनिवार्य कर दिया , ताकि अन्य राज्यों की कंपनियां शामिल ही नहीं हो सके। अधिकारियो के सोच अनुसार ऐसा ही हुआ। टेंडर में आधा दर्जन कंपनियां शामिल हुई पर तीन कम्पनियो को छोड़कर बाकी को अपात्र बताकर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
महाराष्ट्र की कंपनी की जीत-
अधिकारियो ने सुनियोजित तरीके से नियम बनाये और अपने करीबी सप्लायर फर्म गोयल फर्नीचर, एनआर एस्सोसिएट्स, और एके इंटरप्राइजेस को पूरा काम बाँट दिया। जिससे क्षुब्ध होकर महाराष्ट्र की विनिशा टेक्नोलॉजीस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने हाईकोर्ट बिलासपुर के सिंगल और डबल बेंच में याचिका दाखिल किया कंपनी को निराशा मिली तो कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेशों को चुनौती दी। उच्चतम न्यायायलय ने हाईकोर्ट के आदेशों को पलटते हुए पूरा टेंडर की निरस्त कर दिया। जिससे विभाग के अधिकारियो और सप्लायर फर्मो को तगड़ा झटका पहुंचा है।
अधिकारियो पर लटकी तलवार-
समग्र शिक्षा विभाग के अधिकारियो ने चाहते फर्मो को काम देने पद और अधिकारों का दुरुपयोग किया। जेम पोर्टल/ग्लोबल टेंडर में नियमो का ऐसा तोड़ बिठाया कि दिल्ली और महाराष्ट्र की नामी कंपनी बाहर हो गई। उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद क्रय समिति के अधिकारियो और समग्र शिक्षा के संचालक पर कार्यवाही की तलवार लटक रही है।
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