स्वयं को बचाने में जुटे कुलपति: जाँच में अभी और होगी देरी, जाँच समिति सदस्य ने राजभवन से माँगा समय

स्वतंत्र बोल
रायपुर 13 फरवरी 2024. महात्मा गाँधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर भर्ती में गड़बड़ी की जाँच 15 दिन और आगे बढ़ गई है। जाँच समिति ने महीने भर बाद भी जाँच पूरी नहीं कर पाए, अभी 15 दिनों और मांगा गया है। 10 जनवरी को राज्यपाल सचिवालय ने तीन कुलपतियों की जाँच समिति बनाकर जाँच प्रतिवेदन मांगा था, जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है। राजभवन सचिवालय के सूत्रों के अनुसार जाँच समिति में शामिल एक सदस्य ने 15 दिनों के समय की मांग की है, जिसके बाद जाँच की समय सीमा भी बढ़ गई है।

 

महीने भर बाद भी जाँच अधूरी: सहायक प्राध्यापक भर्ती में गड़बड़ी, आखिर अब तक क्यों पूरी नहीं हुई जाँच ?

समय सीमा निर्धारित नहीं-

असिस्टेंट प्रोफ़ेसर भर्ती में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद सरकार ने तत्वरित एक्शन लेते हुए जाँच के लिए राजभवन को लिखा तो राजभवन ने समिति गठित कर दी। जाँच के समय सीमा निर्धारित नहीं होने से अनिश्चितता की स्थिति है। उधर बताते है कि विभागीय मंत्री रामविचार नेताम प्रशासनिक अधिकारियो और आयुक्त से जाँच कराने के पक्षधर थे, पर राजभवन ने कुलपतियों से जाँच कराने का निर्णय लिया। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन जाँच को प्रभावित करने में जुटा हुआ है, इसके लिए कई तरह के उपाय किये जा रहे है, स्वतंत्र बोल ने 10 फरवरी को इस संबंध में खबरे प्रकाशित भी किया था। बताते है कि कुलपति डॉ रामशंकर कुरील दिल्ली के सोर्स का उपयोग अपने बचाव में कर रहे है।
क्या सही रिपोर्ट देंगे कुलपति ?

राजभवन ने आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार और युवाओ के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले विश्वविद्यालय प्रशासन पर कड़ाई करते हुए जाँच की समिति गठित की पर उनमे प्रशासनिक अफसरों की बजाये कुलपतियों को रखा। अब सवाल उठ रहा है कि क्या कुलपति सही रिपोर्ट शासन को दे पाएंगे ? दरअसल यह सवाल इसीलिए उठ रहा कि जिन कुलपतियों को जाँच समिति में शामिल किया गया है उनमे दो के खिलाफ आर्थिक अनियमितता, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायते है। डॉ. बंशगोपाल सिंह और प्रोफ़ेसर चंदेल दोनों ही जाँच का सामना कर रहे है, ऐसे में उनके द्वारा दी जानी वाली रिपोर्ट और जाँच अब संदेह के दायरे में है।

 

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