स्वतंत्र बोल
रायपुर 17 दिसंबर 2023. उच्च शिक्षा विभाग में आयातित और अयोग्य कर्मियों का वर्चस्व है, स्थिति ऐसी कि उच्च शिक्षा सचिव भी हालत नहीं सुधार पाए और विभाग बेलगाम हो चुका है। उच्च शिक्षा विभाग में दर्जनों ऐसी कर्मी वर्षो से प्रतिनियुक्ति पर है, जो कॉलेजों में पठन- पाठन छोड़ संचालनालय और मंत्रालय में अधिकारी बने हुए है। इन कर्मियों की पैठ इतनी मजबूत है कि चाहकर भी सचिव इन्हे हटा नहीं सके। मंत्रालय में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी राजलक्ष्मी सेलट और असिस्टेंट प्रोफ़ेसर झरना चौबे लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर है। सेलट को अनेको गंभीर आरोपों के बाद भी नहीं हटाया गया। संचालनालय में प्रतिनियुक्ति पर जमे असिस्टेंट प्रोफ़ेसर धर्मेद्र यादव को तत्कालीन सचिव भुवनेश यादव ने हटाने आदेश जारी किया था, पर रिमांडर के बाद भी उसका पालन नहीं हो सका है। बताते हैं कि अधिकांश कर्मी अधिकारियो के राजदार है, जिसके चलते अधिकारी इन्हे हटाने में असहज महसूस करते है।
फर्जी और भ्रष्ट उपकुलसचिव को सरंक्षण-
उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत एक बड़े विश्वविद्यालय में पदस्थ प्रभारी रजिस्ट्रार की अयोग्यता और फर्जीवाड़ा की पुष्टि होने के बाद भी विभागीय अफसर कार्यवाही में अक्षम है। प्रभारी रजिस्ट्रार के चयन, योग्यता और पीएचडी को जाँच समिति ने फर्जी पाया था, उसके बाद भी अफसर कार्यवाही की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।
बताते है कि प्रभारी रजिस्ट्रार को पूर्व सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री और उनके ओएसडी शर्मा का विशेष सरंक्षण प्राप्त था, जिसके चलते कार्यवाही नहीं हुई। प्रभारी रजिस्ट्रार ने अपनी कुर्सी बचाने सभी तरह के हथकंडे अपनाये। सीनियर अफसरो और पत्रकारो को कोर्ट कचहरी में उलझाए रखा, ताकि उसकी कुर्सी सलामत रहे। मंत्रालय में पदस्थ कुछ कर्मियों ने शासन से वेतन लेकर प्रभारी रजिस्ट्रार से वफ़ादारी निभाई, जिसके चलते महीनो तक फाइल पुटअप ही नहीं की गई तो पांच महीने से पूर्व मंत्री के बंगले में पेंडिग रही। सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज कर्मियों की करतूतों को उजागर कर रही है।
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