स्वतंत्र बोल
रायपुर 15 दिसंबर 2024. राजधानी में मठ मंदिरो से संबंधित दस्तावेजों की जानकारी पंजीयक सार्वजानिक न्यास एवम एसडीएम कार्यालय में नहीं है, जिससे मठ मंदिरो के वास्तविक स्थिति की जानकारी लोगो को ढूंढने पर भी नहीं मिल रही है। राजधानी में प्राचीन दुग्धाधारी मंदिर, नागरीदास मंदिर, जैतूसाव मंदिर, गोपीदास मंदिर, श्री राम मंदिर, मंत्री ग्राम सेवा समिति सहित दो दर्जन से अधिक मंदिर और मठ है, जिनके दस्तावेजों की जानकारी एसडीएम कार्यालय में नहीं है। ऐसे में उन मंदिरो के सचालक मंडल, नियम, बाइलॉज, पुजारी और महंतो की स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिसका सीधा नुकसान देव स्थल मठ और मंदिरो को हो रहा है। लोक न्यास अधिनियम 1951 की धारा 15 और 22 अंतर्गत पंजीयक कार्यालय में पब्लिक ट्रस्ट से संबंधित दस्तावेजों का होना अनिवार्य है , पर राजधानी में ऐसा नहीं हो रहा है.. जो गंभीर लापरवाही है।
प्रत्येक संस्था या पब्लिक ट्रस्ट का बाइलाज होता है जिसमे उस संस्था से संबंधित सभी तरह की जानकारी होती है और उसी के नियमानुसार संस्था और उसके पदाधिकारियों को काम करने होते है। मठ मंदिरो से जुड़े लोगो के अनुसार लोक न्यास अधिनियम 1951 अंतर्गत पब्लिक ट्रस्ट या धार्मिक मठो का पंजीयक कलेक्टर होता है और उसके अनुमति के बाद ही ट्रस्ट के पदाधिकारी काम करते है। छत्तीसगढ़ में कलेक्टर्स ने काम की अधिकता इस काम के लिए एसडीएम को अधिकृत किया हुआ है, ऐसे में एसडीएम की जवाबदेही लोक न्यास अधिनियम 1951 के पालन की होती है।