राहुल गोस्वामी @स्वतंत्र बोल
फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार का गढ़ बने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय की दीवार अब दरकने लगी है। अपने प्रारंभिक दिनों से विवादों में घिरे में इस विश्वविद्यालय में अब संभवतः बदलाव की बयार चल निकली है। बीते दिनों यहाँ के ताकतवर एसोसिएट प्रोफ़ेसर रहे डॉ. शाहिद अली को बर्खास्त कर दिया गया। अली पर फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने और विश्वविद्यालय को गुमराह करने का आरोप है। प्रबंधन ने अली को बर्खास्त करने के साथ ही उन पर धोखाधड़ी और जालसाजी पर अपराध दर्ज करने मुजगहन पुलिस थाना को पत्र लिखा है। वही उनको आबंटित कक्ष को प्रबंधन ने पंचनामा के बाद सील कर दिया है। बताते है कि इस दौरान डॉ. अली के पक्ष में दर्जनों फ़ोन कॉल कुलपति और प्रबंधन को किया गया, हो सकता है डॉ. अली ने खुद करवाया हो पर अपनी बर्खास्तगी वो रोक नहीं सके।
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डॉ. अली विश्वविद्यालय में वर्ष 2008 जुड़े रहे, वे शुरुआत से विवादित रहे। आरोपों के अनुसार नियमो विपरीत उनका चयन किया गया था तो उनकी पत्नी गोपा बागची द्वारा बनाये गए फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के सहारे उन्होंने नौकरी पाया था। जिस पर पूर्व में पति पत्नी दोनों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हुआ था, पर उसके बाद भी उन कार्यवाही नहीं हुई। उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत लेकर वर्षो तक जमे रहे, इस दौरान दो कुलपति और तीन से अधिक रजिस्ट्रार बदल गए पर किसी ने हिम्मत नहीं दिखाया। डॉ. अली वर्षो तक पत्रकारिता विभाग के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट रहे, पर अच्छे पत्रकार प्रदेश को नहीं दे सके। विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़ा सिर्फ डॉ शाहिद अली तक सीमित नहीं है, यहाँ के अधिकांश व्याख्याता और कर्मचारी बैकडोर से पहुंचे है, जिसमे किसी जाति प्रमाण पत्र फर्जी है तो किसी का किसी का निवास प्रमाण पत्र। शिक्षकों में एक भी निर्धारित योग्यता को पूर्ण नहीं करते फिर भी राजनीतिक सरंक्षण और पूर्व कुलपति डॉ. सच्चिदानंद जोशी की मेहरबानी से सभी वर्षो से जमे हुए है।
स्वतंत्र बोल ने विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़े की गंध से ख़राब होती नस्लों के बारे में पूर्व में कई बार लिखा है, शायद जिसका असर अब दिख रहा है। स्वतंत्र बोल ने जून 2022 में प्रकाशित मासिक पत्रिका में विश्वविद्यालय में व्याप्त मनमानियों प्रमुखता से उठाया था, जिसके बाद ही छत्तीसगढ़ लोक आयोग और उच्च शिक्षा विभाग ने दो दर्जन से अधिक पत्र विश्वविद्यालय को लिखा है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलदेव भाई शर्मा ने विश्वविद्यालय में हिम्मत का काम किया है, पर अभी सफाई होना बाकी है। विश्वविद्यालय में व्याप्त अन्य खरपतवारो की छटाई जरुरी है, नहीं तो वर्षो से जारी सिलसिला वैसे ही जारी रहेगा।
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