भर्ती को लेकर कुलसचिव और कुलपति मे हुआ था मतभेद, कुलसचिव ने शासन को लिखा पत्र तो एपीसी ने लगाया था रोक

स्वतंत्र बोल
रायपुर 10 जनवरी 2024.  महात्मा गाँधी उद्यानिकी और वानिकी विश्वविद्यालय सहायक प्राध्यापक भर्ती में हुई अनियमितता की कलई खुलने लगी है। साल 2023 में जारी विज्ञापन के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भर्ती प्रक्रिया शुरू किया, पर किसी बात को लेकर कुलसचिव रामलखन खरे और कुलपति डॉ रामशंकर कुरील के बीच मतभेद हो गया था।

भर्ती में गड़बड़ी मामला: मंत्री और एपीसी को दी गई भ्रामक जानकारी, और जारी कर दी सूची… कुलपति ने दिखाई चालाकी !

नियमो के उल्लंघन कर अपनाये जा रहे प्रक्रिया की शिकायत रजिस्ट्रार ने राज्यपाल और शासन में एपीसी से किया था, जबकि उपसंचालक कृषि रामलखन खरे को कुलपति डॉ. कुरील के अनुरोध पर ही कुलसचिव बनाया गया था। कुलसचिव के शिकायत पर राजभवन ने सज्ञान लेकर कुलपति से जवाब माँगा तो तत्कालीन एपीसी डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कार्यवाही करते हुए प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। बताते है कि इस आदेश से हड़बड़ाए कुलपति ने राजभवन और तत्कालीन कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के बंगले में जाकर परिस्थियों को अपने अनुकूल करवा लिया था, और प्रक्रिया यथावत चलती रही। इस दौरान कुलसचिव और कुलपति के बीच जारी तल्खी में थोड़ी कमी आई पर पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ।
दरअसल पूरी तैयारी पुरानी सरकार के रिपीट होने की स्थितियों के अनुसार की गई थी, पर गड़बड़ तक हुई जब परिणाम विपरीत आया। आचार सहिंता से चुनाव परिणाम के बीच विश्वविद्यालय प्रबंधन ने चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया था। नई सरकार के क़ृषि मंत्री रामविचार नेताम के पहली ही समीक्षा बैठक में भ्रामक जानकारी देकर सहमति ली गई और आनन फानन में आदेश जारी कर दिया गया। जब मामला बिगड़ा तो कृषि मंत्री ने आँख तरेरते हुए कुलपति को बुलवाया और जमकर क्लास ली और भर्ती स्थगित करने निर्देशित किया। इतना साहस तो पूर्व कृषि रहे रविंद्र चौबे नहीं दिखा पाए थे।
उधर हंगामे के बाद कुलपति डॉ रामशंकर कुरील को हटाने की मांग उठने लगी है। एबीवीपी ने एक दिन पहले विश्वविद्यालय का घेराव कर प्रदर्शन भी किया था, जिसके बाद से कुलपति और उनके सहयोगी मैनजेमेंट में जुट गए है। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार प्रबंधन ने विरोध रूपी ज्वार भाटा के शांत होते तक किसी भी प्रकार के नए उपक्रम नहीं करने और पूरी प्रक्रिया को सही साबित करने जुट गए है। इस काम में कुलपति ने दीक्षित और पाठक उपनाम के अपने विश्वसनीय दो अधिकारियो  को लगाया है जो मंत्रालय से लेकर राजभवन और अन्य प्रमुख बंगलो में शिष्टाचार निभा रहे है।
विश्वविद्यालय में भर्ती में हुई गड़बड़ी पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव रामलखन खरे से पक्ष जानने फ़ोन करने पर मंत्रालय में मीटिंग में होने की बात कर जवाब नहीं दिया।

 

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