स्वतंत्र बोल
बेमेतरा 09 नवंबर 2023. जिले के नवागढ़ विधानसभा सीट में दो दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। बीजेपी ने पूर्व मंत्री दयालदास बघेल पर भरोसा जताया तो कांग्रेस ने मौजूदा कैबिनेट मंत्री गुरु रूद्र कुमार को यहाँ से मौका दिया है। दो दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला है तो दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर है। बीजेपी सरकार में 15 वर्षो तक मंत्री रहे दयालदास बघेल को पिछले चुनाव 33 हजार से अधिक वोटो से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार कांग्रेस ने पूर्व प्रत्याशी और मौजूदा विधायक गुरुदयाल सिंह बंजारे की जगह अहिवारा से विधायक और मंत्री गुरु रूद्र कुमार को उम्मीदवार बनाया है।
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अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीट पर पूर्व में लगातार पांच बार डेरहु प्रसाद धृतलहरे विधायक और मंत्री रहे। दयालदास बघेल ने धृतलहरे को हराकर कांग्रेस के विजयी रथ को रोका था पर साल 2018 में सरकार विरोधी लहर से अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। पहली बार चुनाव लडे गुरुदयाल सिंह बंजारे ने उन्हें बड़े अंतराल से हराया था। बंजारे राजनीतिक जमीं बनाने में असफल रहे और हिट विकेट हो गए।
सरकार की उपलब्धि और जातिगत समीकरण से जीत की कोशिशे-

कांग्रेस प्रत्याशी गुरु रूद्र कुमार मतदाताओं के बीच कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को लेकर जा रहे है। रूद्र कुमार सतनामी समाज के धर्म गुरु है, समाज के बीच उनकी पकड़ मजबूत है। मौजूदा समय में वे अहिवारा विधानसभा से विधायक है, पर उन्होंने वहा से चुनाव ना लड़ नवागढ़ सीट पर भाग्य आजमाइश कर रहे है। उसके पूर्व आरंग विधानसभा से चुनाव जीते थे। कुमार को चुनाव में परिजनो का साथ मिल रहा है, उनके माता और पिता गाँव-गांव जाकर जनसंपर्क करते हुए सतनामी समाज को एकजुट कर रहे है, जहाँ समाज के लोगो द्वारा उन्हें समर्थन भी मिल रहा है। क्षेत्र में करीब 70 हजार मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग से है। उनके समर्थन में दिल्ली, रायपुर और अहिवारा के कोंग्रेसी नेताओ और उनके परिचितों ने चुनाव प्रचार और मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभाली है, जो नवागढ़ में रहकर ही दिन रात काम कर रहे है।
शांति व्यवस्था और लोकल के भरोसे पूर्व मंत्री-

बीजेपी सरकार में 15 सालो तक मंत्री रहे दयाल दास बघेल मतदाताओं के बीच शांति व्यवस्था और बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुए कार्यो को लेकर जा रहे है। बीजेपी ने यहाँ स्थानीय और बाहरी का मुद्दा बनाया है, जो प्रभावी दिख रहा है। बीजेपी कार्यकर्ता गाँवो में स्थानीय और बाहरी का फर्क समझाने में जुटे हुए है। इस चुनाव में बघेल का राजनीतिक भविष्य दांव पर है। बघेल की उम्मीदवारी के बाद से स्थानीय बीजेपी नेताओ में फूट पड़ गई है, कुछ घर बैठ गए तो अन्य कामो में जुट गए। सामनजस्य बनाने कुछेक नेताओ को बीजेपी ने नवागढ़ से दूर अन्य विधानसभा में भेज दिया है।
पूर्व मंत्री और संसदीय सचिव के बीच कड़ा मुकाबला, काम के नाम पर दोनों मांग रहे वोट..
