तहसीलदार की धुआँधार बैटिंग: धरमपुरा और दतरेंगा में विवादित जमीनों पर धड़ाधड़ निर्णय, करोडो के सरकारी और गैर सरकारी भूमि पर खेला.. शासन से शिकायत।

स्वतंत्र बोल
रायपुर 23 दिसंबर 2024.  धरमपुरा स्थित रामचंद्र स्वामी जैतु साव मठ के जमीन खरीदी-बिक्री में बड़ा घपला हुआ है। राजस्व अधिकारियो और जमीन कारोबार से जुड़े लोगो ने मिलकर मठ की जमीन की रजिस्ट्री कर डाला। धरमपुरा में जैतूसाव मठ का 50 एकड़ से अधिक जमीन था, जिसमें आधे से ज्यादा जमीने बिक गई है, कुछ जमीनों को मठ के रहने वालो ने ही भूमाफियाओ के साथ मिलकर बेच डाला तो कुछ जमीने रसूखदार लोगो ने दबा ली। उस जमीनों का बाजार वैल्यू 1000 करोड़ रुपये से अधिक है, जिन्हे अब वापस लेने मठ प्रबंधन क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे है।

 

मठ प्रबंधन के अनुसार धरमपुरा के जिस जमीन को लेकर विवाद गहराया है उसे साल 1972 में जैतूसाव मठ के तत्कालीन महंत ने कलेक्टर से अनुमति लेकर विश्राम साहु के नाम रजिस्ट्री कर दिया था, उसके बाद से कभी भी किसी जमीं को बेचने कलेक्टर ने अनुमति नहीं दिया है। इसी जमीन को हथियाने भू माफियाओ ने साल 2023 में तत्कालीन कलेक्टर और राजस्व अधिकारियो के साथ मिलकर खेला कर दिया, अब इसकी परते उधड़ रही है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार इस जमीन हथियाने में भूमाफियाओ ने पूरा जोर लगा दिया था, दस्तावेजों में फेरबदल कर विश्राम साहू के बेटो सोनू साहू और सोनसाय साहू को इसके लिए तैयार किया गया, पर आखरी समय में तत्कालीन तहसीलदार शर्मा और धरमपुरा के पटवारी चंद्राकर ने रिस्क लेने से इंकार कर दिया, तो तत्कालीन कलेक्टर ने पटवारी चंद्राकर को कलेक्ट्रोरेड में अटैच कर तहसीलदार रायपुर खास से हटा तेलीबंधा पटवारी को धरमपुरा हल्का का चार्ज दिया गया था।

तहसीलदार की धुआंधार बैटिंग-
जमीन कारोबारी धरमपुरा के जमीन के लिए करोडो खर्च कर चुका था, ऐसे में तहसीलदार अजय चंद्रवंशी को रायपुर खास का जिम्मा दिया गया फिर चंद्रवंशी ने धरमपुरा और दतरेंगा में धुआँधार बैटिंग की। आनन् फानन में सिर्फ ईश्तहार के सहारे धरमपुरा की जमीन से सोनसाय साहू और सोनसाय साहू का नाम विलोपित कर गायत्री प्रोजेक्ट के मुकेश शाही के नाम पर दर्ज कर दिया। राजस्व के जानकारों के अनुसार नियमो की जमकर धज्जियाँ उड़ाई गई। धरमपुरा और दतरेंगा में मठ जमीनों पर खेला हुआ, जिसकी शिकायत मठ के सचिव महेंद्र अग्रवाल ने शासन से किया है।

मनीष देव साहू और अजय चंद्रवंशी लम्बे समय तक राजधानी में पोस्टेड रहे, जमीनों के मामलो में नियमो का खुला उल्लंघन किया गया और सीधे तौर पर बिल्डरों और भूमाफियाओ को लाभ पहुंचाया। राजस्व विभाग ने सितंबर में थोक में तहसीलदारों का ट्रांसफर किया, जिसमे चंद्रवंशी को नारायणपुर भेजा गया था। बताते है कि चंद्रवंशी का रसूख का कमाल था कि जॉइनिंग के पहले ही संसोधन आदेश गरियाबंद हो गया।

 

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