राजनांदगांव 10 सितम्बर 2023: मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्टाफ नर्सो की 20 दिनों से जारी हड़ताल के कारण मरीजों का ऑपरेशन टाला जा रहा है। दो सप्ताह के भीतर यहां 60 से अधिक ऑपरेशन टालने पड़े। ऐसे में परिजन मरीज को दूसरे निजी अस्पतालों में लेकर जाने के लिए मजबूर हो रहें है। वर्तमान में यहां केवल गॉयनिक विभाग में नार्मल एवं सीजेरियन डिलीवरी की जा रही है। इसके अलावा हादसों में गंभीर रुप से घायल होने वालों के साथ दूसरी बीमारी के कारण मरीज की गंभीर कंडिशन को देख केवल ईमरजेंसी ऑपरेशन किए जा रहें है।
मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की कमी की वजह से मरीजों की जांच एवं इलाज व्यवस्था चरमरा गई है। एमसीएच के 29 विभागों में कामकाज प्रभावित हो गया है। डॉक्टरों को इलाज में स्टाफ की कमी से जुझना पड़ रहा है। परिजन ही मरीजों देखभाल करने मजबूर है। पेट, नाक, कान, गला, हड्डी रोग, फिजियो, मोतियाबिंद, ऑर्थो विभाग में स्टाफ नर्सो की कमी के कारण सर्जरी नहीं हो पा रही है। स्टाफ नर्सो के नहीं होने से मरीज नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं के भरोसे है जो अभी अपने काम में परिपक्व नहीं है। इस कारण जिस ऑपरेशन में पहले एक घंटे का समय लगता था। अभी उन ऑपरेशनों में डॉक्टरों को डेढ़ से दो घंटे से भी अधिक का समय देना पड़ रहा है।
बारिश लगने के बाद मरीजों की संख्या भी बढ़ी
बारिश का मौसम होने के कारण एमसीएच में बड़ी संख्या में मरीज भी पहुंच रहें है। डेंगू, डायरिया, मलेरिया, पिलिया, वायरल फिवर के मरीज भी पहुंच रहें है। केवल गंभीर मरीजों को भर्ती लिया जा रहा है। नर्सो की हड़ताल के कारण महिला-पुरुष मेडिकल, सर्जिकल, कैजुअल्टी, सोनोग्राफी के अलावा लैब में काम प्रभावित हो गया है। जिला अस्पताल से चर्मरोग, ईएनटी एवं आर्थो के मरीजों को एमसीएच रिफर किया जाता है। डयूटी के बाद निजी अपने निजी अस्पतालों में इलाज करने वाले डॉक्टरों के पास भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहें है।
मरीजों को निजी अस्पतालों में ले जाना मजबूरी
मेडिकल कॉलेज में जिन मरीजों को ऑपरेशन करने भर्ती किया गया था उनका ऑपरेशन टालने के कारण परिजन मरीज को लामा लेकर अपने रिस्क पर निजी अस्पताल ले जाने मजबूर हो रहें है। हालात ऐसे है कि ओपीडी में आने वाले नए मरीजों की जांच कर दवा देकर उन्हें रवाना करना पड़ रहा है। स्टाफ की कमी के कारण ओपीडी में आने वाले उन मरीजों को भर्ती नहीं लिया जा रहा। पहले से भर्ती मरीजों को डिस्चार्ज किया जा रहा है। खासकर पीएनसी में महिलाओं को एवं बच्चा वार्ड में ज्यादा परेशानी हो रही है।
निजी अस्पतालों ऑपरेशन कराने मोटी रकम खर्च
एमसीएच में नि: शुल्क होने वाली सभी प्रकार की जांच एवं ऑपरेशन के बदले निजी अस्पतालो में वहीं जांच कराने एवं ऑपरेशन के लिए परिजनों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ रही है। ऑपरेशन से पहले मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती किया जा रहा और उनके इलाज के एवज में निजी अस्पताल मोटी रकम वसूल कर रहें है। एमसीएच की व्यवस्था चरमराने से निजी अस्पतालों एवं डायग्नोस्टिक सेंटर्स, लैब वाले अधिक मुनाफा कमा रहें है। सीटी स्कैन, सोनोग्राफी, एक्स-रे कराने में भी मोटी रकम खर्च हो रही है।
एमसीएच की सभी 72 नर्सेज हड़ताल में शामिल
एमसीएच में 182 के सेटअप के मुकाबले केवल 72 नर्सेज कार्यरत है। जिसमें आधी नर्सेज एजुकेशन एवं मातृत्व अवकाश में रहती है। इस समय सभी हड़ताल पर है। करीब पांच जिलों से एमसीएच की ओपीडी में रोजाना औसत 500-600 मरीज पहुंचते है। लेकिन यहां 29 विभागों का काम प्रभावित है। कम वेतन के कारण सालभर में करीब 80 संविदा डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी है। नर्सो की हड़ताल से टीकाकरण जैसे काम प्रभावित है। जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों नहीं होने के कारण मरीजों को एमसीएच रिफर किया जाता है।
कार्रवाई के बाद भी काम पर नहीं की वापसी
मेडिकल कॉलेज की स्टाफ नर्सेज अपनी पांच सूत्रीय मांगों पर 21 अगस्त से हड़ताल पर है। आज उनकी हड़ताल को 20 दिन पूरे हो चुके है। जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीण अस्पतालों के 14 स्वास्थ्य कर्मियों को बर्खास्त किया लेकिन स्वास्थ्य कर्मी काम पर लौटने तैयार नहीं है। उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से बर्खास्त कर्मियों की बहाली को लेकर सकारात्मक आश्वासन नहीं मिलने पर उन्होंने कोर्ट जाने की तैयारी की है। इधर एमसीएच की स्टाफ नर्सों ने भी अपनी हड़ताल को जारी रखने का निर्णय है।
टालने पड़े ऑपरेशन
केवल ईमरजेंसी ऑपरेशन किए जा रहें है स्टाफ की कमी के कारण उसमें भी समय अधिक लग रहा है। नर्सिंग सिस्टर्स की मदद ली जा रही है। दो सप्ताह में 60 अधिक ऑपरेटन टालने पड़े है। डॉ. प्रदीप बेक, अधीक्षक मेडिकल कॉलेज
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