स्वतंत्र बोल
रायपुर 10 अप्रैल 2024. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव (मूल पद उपकुलसचिव) शैलेन्द्र पटेल को हाईकोर्ट ने झटका दिया है। कोर्ट ने गुमराह करने और भ्रामक जानकारी देने पर जमकर फटकार लगाते हुए पूर्व में दिए स्थगन आदेश को निरस्त करते हुए तत्काल उच्च शिक्षा संचालनालय में ज्वॉइनिंग करने आदेशित किया है। दरअसल उच्च शिक्षा विभाग ने शैलेन्द्र पटेल को संचालनालय नवा रायपुर में अटैच करने संबंधी आदेश अगस्त 2023 में जारी किया था, जिस पर पटेल ने ज्वाइनिंग करने की बजाये कोर्ट में अपने अधिवक्ता नीरज चौबे के माध्यम से wps 7350/2023 याचिका दाखिल किया था कि “उसका चयन कुलसचिव पद पर हुआ है, और कुलसचिव का पद संचालनालय में नहीं है ऐसे में उसे वह अटैच ना किया जाये।” याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फौरी तौर पर अंतरिम राहत दिया था। अब कुछ दिनों पहले इस मामले पर हुई सुनवाई में जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कोर्ट को गुमराह करने और भ्रम जानकारी देने पर जमकर फटकारा और पूर्व में दिए अपने अंतरिम स्थगन आदेश को निरस्त कर दिया है।
दरअसल कोर्ट में पटेल द्वारा झूठी जानकारी दी जा रही थी, और उच्च शिक्षा संचालनालय में पदस्थ ओआईसी झरना चौबे(मूल पद असिस्टेंट प्रोफ़ेसर) और राजलक्ष्मी सेलट द्वारा शासन का पक्ष सही तरीके से नहीं रखा जा रहा था, जिसका लाभ उसे लगातार मिलता रहा। सरकारी वकील द्वारा कोर्ट को वास्तविक स्थिति से अवगत कराने पर नाराजगी दिखाते हुए जमकर फटकार लगाया और कुलसचिव पद पर ज्वाइनिंग के आदेशित कर दिया। कोर्ट के इस आदेश के बाद शैलेन्द्र पटेल को संचालनालय में ज्वॉइनिंग देनी होगी। वही उसके पहले उपकुलसचिव पद से इस्तीफा भी देना होगा। उच्च शिक्षा के जानकारों के अनुसार एक व्यक्ति एक समय में दो पदों पर नहीं रह सकता। ऐसे में उसे उपकुलसचिव या कुलसचिव किसी एक पद को चुनना होगा।
पटेल को न्याय दिलाने जुटे वकील-
उच्च शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों और अयोग्यता के बाद भी उपकुलसचिव और फिर बाद में कुलसचिव पद चयनित हुए शैलेन्द्र पटेल पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। दोनों ही पदों में हुई भर्ती को शासन ने जाँच में अयोग्य पाया गया है, ऐसे में कुर्सी बचाने पटेल ने राजनेताओ के साथ कोर्ट का सहारा लिया है। जहाँ अधिवक्ता नीरज चौबे को उसे न्याय दिलाने में जी जान से जुटे है। बताते है कि नीरज चौबे रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पैनल लॉयर भी है, जिन्हे प्रत्येक केस के 10 से 25 हजार रुपये तक भुगतान टुकड़ो में विश्वविद्यालय करता है। हाईकोर्ट के सूत्रों की माने तो शैलेन्द्र पटेल ने अधिवक्ता को लाखो की फीस एकमुश्त दी है, जिसके बाद अधिवक्ता ने पटेल को न्याय दिलाने का बीड़ा उठाया है।
कुर्सी बचाने कांग्रेस नेताओ के चक्कर लगाने वाले पटेल ने बदला पाला, अब मौलश्री नया ठिकाना…
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