स्वतंत्र बोल
रायपुर 11 अप्रैल 2024. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा साल 2020 में कुलसचिव, उपकुलसचिव और सहायक कुलसचिव के विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए निकाले गए विज्ञापन में अब तक कुलसचिव के दो पदों पर भर्ती नहीं हो पाई है। आयोग द्वारा साल 2021 चयन सूची जारी किया गया था जिसमे सहायक कुलसचिव और उपकुलसचिव के विभिन्न पदों पर भर्ती पूरी कर ली गई पर कुलसचिव के पदों पर नियुक्ति अब तक अधूरी है। बताते है कि कुलसचिव पद पर जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, वे वर्तमान में कार्यरत स्थानों पर ही कार्य करना चाहते है। जिसके चलते दो पदों पर भर्ती नहीं हो पाई है।
लोक सेवा आयोग से मिली जानकारी अनुसार साल 2020 में जारी विज्ञापन के अनुसार कुलसचिव के दो पदों के लिए सामान्य वर्ग से नरेंद्र वर्मा और पिछड़ा वर्ग से शैलेन्द्र कुमार पटेल का चयन मेरिट आधार पर किया गया था। सामान्य वर्ग से चयनित नरेंद्र वर्मा वर्तमान में किसी सरकारी विभाग में पदस्थ है ऐसे में उन्होंने ज्वानिंग करने से इंकार कर दिया तो शैलेन्द्र पटेल उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में बतौर उपकुलसचिव पोस्टेड है। ऐसे में उन्होंने ने भी अब तक ज्वाइनिंग नहीं दी है। पटेल के चयन को उच्च शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक योग्यताओ को पूर्ण नहीं करने पर निरस्त कर दिया था, पर उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए उसे संचालनालय में नियुक्ति दिया था, जिसे पटेल ने ज्वाइन करने से इंकार करते हुए एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसके याचिका पर कोर्ट ने कुछ दिनों के लिए फौरी राहत दिया था, जिसे कुछ दिनों पहले निरस्त कर दिया है, जिसके बाद पटेल को ज्वाइनिंग देना होगा।
..तो इसलिए नहीं ज्वॉइन करना चाहते ?
शैलेन्द्र कुमार पटेल वर्तमान में पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलसचिव के पद पर कार्यरत है, पर वे प्रभारी की जगह कुलसचिव बनकर है। सरकारी फाइलों और आदेशों में बतौर कुलसचिव उनके दस्तखत होते है, जबकि उनका मूल पद उपकुलसचिव है। पटेल को समझने वालो को मानना है कि ” कई दौर की जाँच में दोषी पाए जाने और अयोग्य होने के बाद भी अगर शासन कार्यवाही नहीं कर पा रही व बिना कुलसचिव बने ही कुलसचिव का पद और सुविधाएं मिल जाए तो नए सिरे से आखिर नौकरी की शुरुआत क्यों की जाए, इसलिए वे कुलसचिव का पद ज्वाइनिंग करने जल्दबाजी में नहीं है।” दरअसल पटेल को प्रभारी कुलसचिव के नाते वे सारे सुविधाएं बंगला, सरकारी गाड़ी , प्रोटोकॉल और वित्तीय अधिकार मिले हुए है। अगर वे कुलसचिव पद पर ज्वॉइन करेंगे तो दोबारा नए सिरे से नौकरी की शुरुआत होगी, दो साल की परिवीक्षा अवधि से गुजरना होगा.. ऐसे में वे तनाव नहीं लेना चाहते।
जाँच और कार्यवाही प्रभावित-
पटेल के उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत कुलसचिव पद पर ज्वॉइन नहीं करने के पीछे उनके सहयोगी अनेक कारण गिनाते है, बताते है कि कुलसचिव पद में होने से अपने खिलाफ होने वाली शिकायतों, जाँच और कार्यवाही को प्रभावित कर पा रहे.. नहीं तो उसे कोई सुरक्षाकर्मी भी घास नहीं डालेगा। उनके सहयोगीयो के अनुसार सरकारी गाडी में सरायपाली, जांजगीर, मंत्री बंगले और बिलासपुर हाईकोर्ट की दौड़ लगाना भी आसान होता है, निजी गाडी में तो ईंधन भरवाने में ही जमीन बिक जाएगी।
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