राजधानी रायपुर में इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मिलाद उल नबी मनाया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मक्का में 572 ईसवी में पैगंबर साहब का जन्म हुआ था। शनिवार रात से ही शहर के कई मुस्लिम बहुल इलाके रंग-बिरंगे लाइट्स से रोशन हो उठे। पूरी रात पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिवस में लोगों ने जश्न मनाया।
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राविवार को शहर में जगह जगह विशाल शोभायात्रा निकाली गई। मोहम्मद साहिब के जन्म दिवस को याद करते हुए ‘सरकार की आमद मरहबा, आका की आमद मरहबा, जश्न-ए-ईद मिलाद उल नबी जिंदाबाद’ के नारे लगे।
साल भर में 3 ईद
ईद अरबी शब्द है। उर्दू और फारसी में भी इसका प्रयोग होता है। ईद का का हिंदी अर्थ पर्व या त्यौहार होता है। अरबी,उर्दू और फारसी में भी ईद का अर्थ खुशी या हर्षोल्लास होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार साल में 3 ईद मनाई जाती है। पहली ईद उल फितर जो कि रमजान के रोजो के बाद शव्वाल महीने के पहली तारीख को मनाई जाती है।
इससे मीठी ईद भी कहते है। इसमें सेवइयां बांटी जाती है। इसके बाद इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने की दसवीं तारीख को ईद-उल-अज़हा मनाया जाता है। इसे बकरीद भी कहा जाता है। जिसमें कुर्बानी दी जाती हैं। वही इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को मिलाद-उल-नबी मनाया जाता है।
ऐसे मनाया जाता है पर्व
इस दिन पैगंबर मोहम्मद हज़रत साहब की ओर से दी गई सीख को पढ़ा जाता है। उन्हें याद किया जाता है। मोहम्मद हजरत साहब के द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों को याद किया जाता है। बच्चों को मोहम्मद साहब के की ओर से दी गई तालीम को सिखाई जाती है। ईद उल मिलाब को रात भर प्रार्थनाएं की जाती है।
