रायपुर 18 दिसंबर 2022. इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में एरियर्स घोटाला फूटने के बाद प्रबंधन लीपापोती में जुट गया है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने रिकवरी और कार्यवाही के लिए विश्वविद्यालय के वित्त लेखा नियंत्रक को पत्र लिखा है। उधर विश्वविद्यालय में वर्षो से चल रहे इस आर्थिक अनियमितता और जाँच रिपोर्ट की जानकारी शासन को नहीं दी गई थी। स्वतंत्र बोल द्वारा गड़बड़ी उजागर करने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने शासन को इसकी जानकारी भेजी है।
कृषि विश्वविद्यालय प्रबंधन ने नियमो के विपरीत ऐसे कर्मियों को एरियर्स का लाभ दिया साथ ही उन्हें अक्टूबर 2022 में पदोन्नत कर दिया। जिन कर्मियों से एरियर्स की राशि रिकवरी के साथ बर्खास्तगी की कार्यवाही होनी थी, उन्हें विश्वविद्यालय प्रबंधन ने पदोन्नति दे दी। इस सवाल का जवाब विश्वविद्यालय प्रबंधन के पास नहीं है। कुलसचिव गणेश कुमार निर्माम ने कहा कि उन्होंने सिर्फ कुलपति के आदेशों का पालन किया है, कुलपति के अनुमोदन पर आदेश जारी किया है। वही कुलपति डॉ गिरीश चंदेल ने कहा कि “पदोन्नत करने के पूर्व व्यापक जाँच पड़ताल की गई, जाँच समिति बनाई गई थी और उसके रिपोर्ट के अनुसार ही पदोन्नत किया गया है।”
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जिन कर्मियों को पदोन्नत करने कुलपति ने नियमो को दरकिनार किया उनमे अधिकांश कर्मियों ने डॉ गिरीश चंदेल को कुलपति बनाने राजभवन के सामने मोर्चा खोला था, जिसके चलते ही कुलपति ने नियमो की परवाह नहीं की। अपुष्ट सूचनाओं के अनुसार इसके लिए धन संग्रह की भी चर्चा है। उधर कुलसचिव गणेश कुमार निर्माम कुलपति के आदेशों का पालन के बहाने अपनी जिम्मेदारी से बचने की जुगत में है। प्रशासकीय नियमो के अनुसार पदोन्नति या अन्य कोई भी प्रस्ताव कुलसचिव सचिवालय से अनुमोदन के लिए कुलपति के पास जाती है, कुलपति के अनुमोदन के बाद ही संबंधित विषयो में आदेश कुलसचिव जारी करता है। कही कही देखा गया कि कुलपति के आदेशों से असहमत होने पर कुलसचिव अनुमोदन के बाद भी फाइलों को करने से मना कर दें या महीनो पेंडिंग कर देता है, पर यहाँ ऐसा नहीं हुआ।
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