स्वतंत्र बोल
रायपुर 10 फरवरी 2024. महात्मा गाँधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर भर्ती में गड़बड़ी की जाँच महीने भर बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। पिछले महीने 10 जनवरी को राजभवन ने जाँच समिति गठित कर 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट माँगा था, जो अब तक पंहुचा है, जिसके बाद अनेक तरह की चर्चाये है। सहायक प्राध्यापक भर्ती में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने नियम प्रक्रियाओं को ताक में रखकर भर्ती की, अपनों को उपकृत किया। मंत्री के तीखे तेवरों के बाद भी अधिकांश कर्मियों का ज्वानिंग भी हो गया था। उधर जाँच पूरी नहीं हुई इधर चयनित कर्मियों का एक महीना पूर्ण हो गया है, संभवतः जल्द ही उन्हें मासिक वेतन भी मिल जायेगा।
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आरोप विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामशंकर कुरील पर पैसे लेकर अयोग्य और अपात्र कर्मियों के चयन का था, कुछ दिनों तक एबीवीपी के पदाधिकारियों ने हल्ला मचाया पर अब शांति है। माहौल गरमाया तो कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने दो टूक शब्दों में ज्वाइनिंग की प्रक्रिया रोकने के साथ पूरी प्रक्रिया के जाँच के निर्देश के लिए निर्देशित किया था।
राजभवन ने इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, सुन्दर लाल शर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बंशगोपाल सिंह और पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव भाई शर्मा की जाँच समिति बनाया था। बताते है कि जाँच समिति में सीनियर प्रशासनिक अधिकारियो को रखने का आग्रह किया गया था पर राजभवन सचिवालय ने कुलपतियों को ही शामिल किया है। रिपोर्ट की देरी पर सवाल उठने लगा है।
भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बनाने वाले विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामशंकर कुरील के मैनेजमेंट में जुटे है। बताते है कि डॉ. कुरील द्वारा पुरे मामले को दबाने तरह तरह के जतन किये जा रहे है। भ्रष्टाचार और मनमानी से जुड़े इस विषय को लेकर राज्य सरकार भी गंभीर है।
