अंदरूनी खबर
30 नवंबर 2022.

|
WhatsApp Group
|
Join Now |
|
Facebook Page
|
Follow Now |
|
Twitter
|
Follow Us |
|
Youtube Channel
|
Subscribe Now |
प्रदेश का एकमात्र कृषि पर आधारित इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय अपने कामो से कम विवादों के चलते ज्यादा सुर्खिया बटोरता रहा है। पूर्व कुलपति रहे डॉ एसके पाटिल के दस वर्ष के कार्यकाल में कथित तौर पर विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार और गड़बड़ी का केंद्र बना हुआ था। एक्टिविस्टों और राजनेता कुलपति और प्रबंधन पर लाखो करोडो के भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे। मुख्यमंत्री, राजभवन, न्यायालय और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो सहित उन सभी जगहों में शिकायते पहुंचाई गई, जहाँ से शिकायतकर्ताओं को न्याय की उम्मीद थी। विश्वविद्यालय में डॉ. एसके पाटिल का दस वर्षो का कार्यकाल सबसे विवादित रहा, उन पर नियमो के खुला उल्लंघन करने के आरोप लगते रहे। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने केस रजिस्टर्ड कर जाँच भी बीते कई रही है और विवादों के बीच उनका दो पंचवर्षीय (दस वर्ष) कार्यकाल साल भर पहले समाप्त भी हो गया। उनके कार्यकाल समाप्ति के बाद विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मियों ने स्थानीय (छत्तीसगढ़िया) कुलपति की मांग की। कर्मियों को भरोसा था कि स्थानीय व्यक्ति के प्रमुख पद पर बैठने से विश्वविद्यालय में व्याप्त समस्याओ का समाधान होगा, गड़बड़ियों और अनियमितताओं पर अंकुश लगेगी और सबको न्याय मिलेगा।
राज्य सरकार ने कर्मियों की बातो का समर्थन किया तो राजभवन ने स्थानीय (छत्तीगढ़िया) प्रोफ़ेसर गिरीश चंदेल को कुलपति बना, सबकी मांग पूरी कर दी। स्थानीय के कुलपति बनने के छह महीने बाद विश्वविद्यालयीन कर्मियों की मांगे पूरी हुई या नहीं यह शोध का विषय हो सकता है पर विश्वविद्यालय में जारी गड़बड़ियों और मनमानी पर अंकुश नहीं लग पाया है। नियमो को दरकिनार कर धड़ल्ले से ट्रांसफर और प्रमोशन आदेश जारी हो रहा है। विश्वविद्यालय में जमी गड़बड़ी रूपी काई की सफाई की बजाये नए स्थानीय कुलपति भी उसी पदचिन्हो पर चलने लगे है, या कहे की इनकी रफ़्तार पिछले वाले बहुत तेज है। पूर्व में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने नियमो का उल्लंघन कर कर्मचारियों को एरियर्स बाँट दिया, सैकड़ो कर्मियों का समय से पहले परिवीक्षा अवधी समाप्त कर दिया। भर्राशाही पर रोक लगाने की बजाये सरंक्षण देते हुए नए कुलपति ने सैकड़ो कर्मियों को पदोन्नत कर दिया, जिससे नियमो का उल्लंघन हुआ ही शासन को करोडो की आर्थिक क्षति पहुंची। डॉ. विवेक, आदिकांत सहित दो दर्जन से अधिक गंभीर मसले ऐसे है जो अभी खुलना बाकी है। कुलपति चंदेल ने गंभीर आरोपों से घिरे एक प्रोफ़ेसर को कांकेर से हेड ऑफिस बुला लिया, जिसे पूर्व में उन आरोपों के चलते ही हटाया गया था। अब चर्चाये ऐसी है कि गड़बड़ी और अनियमितता के मामलो में स्थानीय और बाहरी सबका मिजाज एक सा है। अंदरूनी खबर है कि दूल्हे का चेहरा बदला है बाकी बाराती वही है। अब यक्ष प्रश्न है कि स्थानीय और गैर स्थानीय में अंतर क्या रहा।
अंदरूनी खबर: उपचुनाव में मिले अचूक हथियार से उत्साहित कांग्रेसी, सबक ले लोक सेवा आयोग।
