जगन्नाथ का आदेश: एसडीएम ने कमिश्नर के आदेशों को पलटा, ऋण पुस्तिका बनाने आधी रात खुलवाया पटवारी कार्यालय!

स्वतंत्र बोल
रायपुर 27 दिसंबर 2023.  राजधानी में जमीन नामांतरण मामले में बड़ा खेल हो गया है। राजस्व अधिकारी ने राजस्व मंडल और संभाग आयुक्त के आदेशों को सुपरसीड करते हुए जमीन दूसरो के नाम पर दर्ज कर दिया। मामला राजधानी के अभनपुर ब्लॉक का है जहा पदस्थ एसडीएम ने संभाग आयुक्त और राजस्व मंडल के आदेशों को दरकिनार करते हुए कथित किसानो को फायदा पहुंचाया है।

जानकारीनुसार कोलर निवासी राजेश दानी की जमीन (22 एकड़) पूर्व में सीलिंग में निकली थी, जिसे बाद में कोलर के आत्माराम, कमलनारायण, हरखू, ललित, रूपेंद्र,खुमान और संतोष साहू ने रजिस्ट्री कर खरीद लिया। प्रकरण सिविल कोर्ट से होते हुए राजस्व मंडल पंहुचा जहा कोर्ट ने सीलिंग जमीन की रजिस्ट्री को अवैध बताते हुए रजिस्ट्री को शून्य कर दिया, पर कब्ज़ा कथित किसानो का रहा। साल 2023 में उक्त जमीन सीलिंग मुक्त होने पर संभाग आयुक्त और राजस्व मंडल ने जमीन राजेश दानी के नाम पर चढ़ाने का आदेश पारित किया, और यही खेल हो गया।
तहसीलदार के आदेश को किया ख़ारिज-

संभाग आयुक्त और राजस्व बोर्ड के निर्देशों के बाद उक्त जमीन राजेश दानी के नाम चढाने संबंधी आदेश के बाद कथित किसानो आत्माराम, कमलनारायण, हरखू, ललित, रूपेंद्र,खुमान और संतोष साहू ने ने खोरपा तहसीलदार के समक्ष दोबारा अपील की, जिसे तहसीलदार पवन ठाकुर ने ख़ारिज करते हुए संभाग आयुक्त के आदेशों को सही बताया। तहसीलदार के फैसले को कथित किसानो ने एसडीएम जगन्नाथ वर्मा के कोर्ट में चुनौती दी तो एसडीएम ने यह कहते हुए तहसीलदार के आदेश को बदल दिया कि “पंजीकृत विक्रय पत्र को किसी भी सक्षम न्यायालय द्वारा निरस्त नहीं किया गया है, तथा राजस्व न्यायालय को पंजीकृत विक्रय को निरस्त करने की अधिकारिता नहीं है. ऐसे में अपीलार्थी वाद भूमि के नामांतरण की पात्रता रखता है।”
एसडीएम वर्मा ने संभाग आयुक्त, राजस्व बोर्ड के साथ तहसीलदार के आदेशों को पलटा और उक्त 22 एकड़ भूमि कथित किसानो के नाम दर्ज कर दिया।
24 घंटे में आदेश और ऋण पुस्तिका-
एसडीएम वर्मा ने नियम विपरीत उच्चाधिकारियों के आदेशों को बदला और खुद नामांतरण का आदेश जारी कर दिया। एसडीएम ने आचारसहिंता प्रभावी होने के तीसरे दिन यानी 11 अक्टूबर को प्रकरण की सुनवाई की और नामांतरण के आदेश जारी कर दिया। बताते है कि एसडीएम के आदेशों के बाद उसी दिन सभी 8 कथित किसानो का ऋण पुस्तिका भी पटवारी ने तैयार कर दे दिया। दरअसल 11 अक्टूबर को ही ऋण पुस्तिका बनाने पटवारी और आरआई पर इतना दबाव था कि उन्हें रात 11 बजे कार्यालय खोलना पड़ा था।
एसडीएम जगन्नाथ वर्मा ने इस विषय में स्वतंत्र बोल से कहा कि
“28 साल के करियर में पुरे ईमानदारी के साथ काम किया है, उन पर लग रहे आरोप गलत हैं।” पर नामांतरण संबधी अन्य आरोपों पर वर्मा जवाब नहीं दे पाए।

 

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