रायपुर 16 मई 2022. बस्तर विश्वविद्यालय में हुए कंप्यूटर खरीदी घोटाले में तत्कालीन उपकुलसचिव ने दस्तावेजों में छेड़छाड़ किया था। जिसके आधार पर पुलिस में अपराध दर्ज हुआ था। छह साल बाद दोबारा जाँच होने पर फिर पुराने मामले खुलने लगे है। कुछ दिनों पहले राज्यपाल की अनुशंसा से दो सदस्यीय जाँच टीम का गठन किया था जिसमे शामिल सद्यो ने मौके पर जाकर कंप्यूटर खरीदी की पुरे दस्तावेज और जानकारिया अधिकारियो से ली है। जिसके बाद एक तथ्य सामने आया कि तत्कालीन उपकुलसचिव ने अपने आप को बचाने नोटशीट में छेड़छाड़ कर संविदा में पदस्थ प्राध्यपक को फंसाने के उद्देश्य से पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराया था।
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जानकारी अनुसार साल 2016 में बस्तर विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा 65 नाग कंप्यूटर खरीदने कार्यादेश जारी किया। सप्लायर द्वारा कंप्यूटर सप्लाई करने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने भुगतान करने से मना कर दिया। भुगतान के एवज में तत्कालीन कुलसचिव एसपी तिवारी और प्रभारी कुलपति हीरालाल नायक ने कमीशन की मांग की, सप्लायर द्वारा देने से इंकार करने पर भुगतान रोक दिया। सप्लायर ने छत्तीसगढ़ लोक आयोग में शिकायत की। आयोग द्वारा केस रजिस्टर्ड करने की जानकारी होने पर विश्वविद्यालय प्रबंधन बचाव के लिए संबंधितों पर दबाव बनाया। तब कुलसचिव एसपी तिवारी और प्रभारी कुलपति हीरालाल नायक और भंडार शाखा प्रभारी उपकुलसचिव शैलेन्द्र पटेल थे। दस्तावेजों के अनुसार आयोग में पेशी से और आरोपों से बचने नोटशीट में छेड़छाड़ करते हुए भंडार प्रभारी शैलेन्द्र पटेल ने बैक डेट से जाँच समिति के गठन संबंधी बाते लिखी। संबंधितो ने बैक डेट में जाँच की और प्रतिवेदन जमा कर संविदा में पदस्थ प्राध्यापक को दोषी ठहराते हुए जगदलपुर थाने प्राथमिकी दर्ज कराया। बाद में पुलिस ने शिकायतों को गलत पाते हुए एफआईआर ख़ारिज किया।
इस पुरे घटनाक्रम में उपकुलसचिव शैलेन्द्र पटेल ने अपने बचाव के लिए दस्तावेजों में छेड़छाड़ करते हुए कूटरचना किया था। वही तत्कालीन वित्त अधिकारी तिर्की की भूमिका संदिग्ध है। सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ करने और नोटशीट में कूटरचना करने पर उपकुलसचिव की शिकायत आयुक्त उच्च शिक्षा से हुई है।
