स्वतंत्र बोल
रायपुर 14 दिसंबर 2024 राजधानी के अमलीडीह की सरकारी जमीन बिल्डर को देने पर बवाल मचा हुआ है, लगातार हो खुलासो के बाद बिल्डर पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सरकारी सरंक्षण में हुए घपले में तत्कालीन कलेक्टर के साथ राजस्व विभाग के अधिकारी और राजस्व मंत्री शामिल है, जिन्होंने बिल्डर राजेश अग्रवाल को सरकारी जमीन देने दिन-रात एक कर दिया था। सरकारी जमीन पर हुए खेल पर स्वतंत्र बोल ने पड़ताल की तो बड़ा गोलमाल सामने आया है।
अमलीडीह के खसरा क्रमांक 233/1 की कुल साढ़े 9 एकड़ जमीन पर लंबे समय से भूमाफियाओ का नजर था, इस जमीन को हासिल करने कई संस्थाओ का सहारा लिया गया था। रामा बिल्डकॉन के राजेश अग्रवाल इस जमीन पर टाउनशिप बनाना चाहते है जिसके लिए वे प्रयासरत थे, एक्सप्रेस वे से लगी जमीन के लिए श्री अग्रवाल ने शासन को एक रास्ता भी दे रखा है। उन्होंने साल 2020 पहली बार जमीन लेने कलेक्टर रायपुर के समक्ष आवेदन किया, तब राजधानी के किसी सामाजिक कार्यकर्त्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दिया। प्रकरण कोर्ट में दो सालो के सुनवाई के बाद निराकृत होने पर नवंबर 2023 में मतगणना के चार दिन पहले 29 नवम्बर को कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने नोटशीट चला फाइल रायपुर संभाग आयुक्त को भेज दिया, जबकि आचार सहिंता में चुनावी व्यस्तता का हवाला देकर आम लोगो के अधिकांश काम नहीं होते।
आचार सहिंता के एक दिन पहले हुई बैठक-
इस पुरे मामले में राजस्व अधिकारी बिल्डर का दोनों हाथो से सहयोग करते रहे, दिसंबर 2023 में सत्ता परिवर्तन होने से बिल्डर अग्रवाल को झटका पहुंचा और तेजी गति से दौड़ती फाइलों की रफ़्तार पर ब्रेक सा लग गया। 6 मार्च 2024 को बीजेपी सरकार में तत्कालीन रायपुर संभाग आयुक्त ने फाइल राजस्व विभाग को भेजा। जिस पर लोकसभा चुनाव के आचार सहिंता के एक दिन पहले 16 मार्च को मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक में अमलीडीह की सरकारी जमीन बिल्डर को देने सहमति बनी। बैठक राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा की अध्यक्षता में हुई जिसमे राजस्व सचिव अविनाश चंपावत, संयुक्त सचिव सी तिर्की और अवर सचिव सुश्री अनीता सोनी मौजूद थे। जिन्होंने जमीन बिल्डर अग्रवाल को देने सहमति जताया। जिसके बाद राजस्व विभाग ने 28 जून 2024 रायपुर कलेक्टर को पत्र भेजकर जमीन आबंटन करने निर्देशित किया।
250 करोड़ की जमीन, 09 करोड़ में-
अमलीडीह की बेशकीमती सरकारी जमीन पर स्थानीय लोगो के द्वारा स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने की मांग की होती रही, पूर्व विधायक सत्यनारायण शर्मा ने पहल भी किया था। अमलीडीह की जमीन का बाजार मूल्य 250 करोड़ रुपये से अधिक का है, जिसे राजस्व विभाग ने बिल्डर राजेश अग्रवाल को मात्र 09 करोड़ में देने सहमति जताया है, जिसके पीछे की कहानी को समझा जा सकता है। कोंग्रेसी नेता और जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष पंकज शर्मा ने मंत्री और राजस्व अधिकारियो पर बेहद गंभीर आरोप लगाया है।
कौन है बिल्डर राजेश अग्रवाल-
रामा ग्रुप बिलासपुर की रियल स्टेट कंपनी है जो महंगे घर, बंगले और शॉपिंग मॉल बनाती है। जिसके राजेश अग्रवाल संजय अग्रवाल और राजीव अग्रवाल संचालक है। तीनो रिश्ते में भाई बताये जाते है। इन्होने बिलासपुर में दर्जनों महंगे प्रोजेक्ट बनाये और आमासिवनी में लोक न्यास ग्राम सेवा समिति की जमीन पर बना स्वर्णभूमि भी इसी का प्रोजेक्ट है। रामा को उल्टा पढ़ने पर अमर दिखता है, चर्चाओ के अनुसार इस कंपनी को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री का सरंक्षण प्राप्त है।
जमीन का खेल: कांग्रेस सरकार में फाइल चली और बीजेपी सरकार स्वीकृती मिली, सरकारी जमीन बिल्डर को आबंटित