कार्यवाही पर दोहरा मापदंड: शिकायत पर हवा की रफ़्तार से जाँच और सस्पेंशन, उधर डेढ़ सालो बाद भी ‘रेंग रही दागीकर्मी’ की फाइल!

स्वतंत्र बोल
रायपुर 12 अप्रैल 2024.  उच्च शिक्षा विभाग में गड़बड़ किस्म के अफसरो और घोटालेबाजो पर कार्यवाही के अलग अलग पैमाने है। विभाग के जिम्मेदार गड़बड़ी करने वाले कर्मियों पर नकेल कसने में नाकाम रहा है तो कुछेक कर्मियों पर की गई कार्यवाही जिम्मेदारों पर ही सवाल उठने लगे है। विभागीय अफसरों ने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में बतौर सहायक कुलसचिव पदस्थ रहे चुन्नीलाल टंडन को सस्पेंड कर दिया। टंडन पर आरोप था कि उसने अपने गोपनीय प्रतिवेदन में कुलपति और कुलसचिव के फेक हस्ताक्षर किये और सुचना के अधिकार अधिकार अधिनियम अंतर्गत गलत तरीके से आवेदन किया। इन आरोपों पर कार्यवाही करते हुए उच्च शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने बीते 14 मार्च को चुन्नीलाल टंडन को निलंबित करते हुए दुर्ग के हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के अटैच कर दिया। जानकारिनुसार टंडन सहित अन्य लोगो के तबादले की फाइल आचार सहिंता के पहले चल रही थी, पर अचानक से सस्पेंशन आदेश से तहलका मच गया। बताते है कि दो दिनों के सस्पेंशन आर्डर के लिए फाइल तेजी से चलाई गई और 14 मार्च को आदेश के अगले दिन ही टंडन को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने रिलीव भी कर दिया।

जाँच में दोषीकर्मी पर कार्यवाही नहीं..
एक तरफ उच्च शिक्षा विभाग के अफसरो ने सहायक कुलसचिव के खिलाफ हुई शिकायत पर तेज रफ़्तार से जाँच करते हुए कुछ दिनों के भीतर सस्पेंशन ऑर्डर जारी कर दिया, उधर डेढ़ वर्षो में तीन-तीन जाँच समितियों द्वारा दी गई रिपोर्ट के बाद भी रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल पर कार्यवाही करने अब तक अफसर मंत्री के अनुमोदन का इंतजार कर रहे है। बताते है कि पटेल पर कार्यवाही की अनुशंषा संबंधी फाइल 1 मार्च को विभागीय मंत्रीश्री अग्रवाल को भेजा गया था, जो अब तक विभागीय अफसरो तक नहीं लौटा है। ऐसे में विभाग द्वारा की जा रही कार्यवाही सवालो में है।

 

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