मंत्रियो का हाल: साजा में राजा और मजदूर की लड़ाई तो, पीएचई मंत्री को कार्यकर्ताओ की कमी.. हॉट सीटों में दिलचस्प मुकाबला

स्वतंत्र बोल
रायपुर 16 नवंबर 2023.  चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण का मतदान शुक्रवार को होगा। चुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित कैबिनेट के 9 मंत्रियो के भाग्य का फैसला होगा। मंत्रियो का सीधा मुकाबला बीजेपी उम्मीदवारों से है, कुछेक जगहों में निर्दलीय उम्मीदवार मुकाबले को रोचक बना रहे है। अंबिकापुर विधानसभा सीट से उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का सामना बीजेपी के राजेश अग्रवाल से है। राजेश कुछ वर्षो पहले कांग्रेस में थे, और वे टीएस के सहयोगी के रूप में जाने जाते रहे। राजेश को उम्मीदवार बनाने के बाद सिंहदेव के लिए चुनाव आसान नहीं है। बताते है कि अंबिकापुर में एक मुस्लिम उम्मीदवार ने मुकाबला दिलचस्प कर दिया है। बीजेपी प्रत्याशी को कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आये चिंतामणि महाराज का भी साथ मिल रहा है।
सरगुजा संभाग में सीतापुर सीट से खाद्य मंत्री अमरजीत भगत पांचवी बार मैदान में है। उनका मुकाबला सेना से रिटायर्ड रामकुमार टोप्पो से है। बीजेपी ने मंझे हुए मंत्री के सामने नए प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। चुनाव मैदान में आते ही टोप्पो के जाति प्रमाण पत्र को लेकर आरोपों का दौर शुरू हुआ जिसका लाभ मंत्री को मिल सकता है। अपुष्ट जानकारी अनुसार मंत्री ने विरोधी गुट के नेताओ को साधने में कसर नहीं छोड़ा है। रायगढ़ विधानसभा से उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल का सामना बीजेपी के महेश साहू से है ,महेश पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे है तो मंत्री उमेश पटेल तीसरी बार। उमेश पटेल को पिता नंदकुमार पटेल के नाम का लाभ मिल सकता है।

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कोरबा से राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का मुकाबला पूर्व विधायक लखनलाल देवांगन से है। धन बल से संपन्न अग्रवाल ने अधिकांश निर्दलीयों को अपने पक्ष में कर अपनी ताकत का अहसास कराया है। कुछ दिनों पहले यहाँ बीजेपी के झंडे और बैनर चोरी हो गए थे। आरंग विधानसभा में नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया का मुकाबला सतनामी समाज के धर्म गुरु, खुशवंत साहेब से है। उनके पिता बालदास ने अपने बेटे के साथ चुनाव के करीब चार महीने पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता लिया था। गुरु बालदास का समाज में अच्छी पकड़ है ऐसे में यहाँ मंत्री को कड़ी टक्कर मिल रही है। महिला बाल विकास मंत्री अनिल भेंडिया अपने परंपरागत सीट डौंडीलोहारा से तीसरी बार चुनाव मैदान में है, जहा उनका सामना बीजेपी के देवलाल ठाकुर है। देवलाल ठाकुर कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए है और वे पूर्व में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके है। सुनते है कि मंत्री भेड़िया को चुनाव में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। आधा दर्जन से अधिक गाँवों में मंत्री को ग्रामीणों ने बैरंग लौटा दिया था। मतदाता उनके प्रतिनिधियों और व्यापारियों की कार्यशैली से नाराज बताये जाते है, हालाँकि उनके जेठ डोमेन्द्र भेंडिया चुनाव की कमान संभाले हुए है।
पाटन से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विरुद्ध बीजेपी ने सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा है, दोनों रिश्ते में चाचा-भतीजे है। अमित जोगी के चुनाव लड़ने से मामला बेहद दिलचस्प हो गया है। दुर्ग ग्रामीण से पिछली बार 27 हजार से ज्यादा वोटो से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे मौजूदा गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का मुकाबला नए उम्मीदवार ललित चंद्राकार से है। पिछड़ा वर्ग बाहुल और कोंग्रेसियो के बीजेपी प्रवेश के बाद मंत्री के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई है, जो जीत की राह में रोड़ा बन रही है। साजा विधानसभा में विगत 35 वर्षो प्रतिनिधित्व करते स्कूल शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे को पहली बार चुनाव लड़ रहे ईश्वर साहू से कड़ी टक्कर मिल रही है। बीजेपी ने मजदूरी करने वाले ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया है, ईश्वर के लिए साहू समाज एकजुट हो रहा है। दरअसल यहाँ आरएसएस ने ग्राउंड तैयार किया था जिसका लाभ मिलता दिख रहा है, यहाँ अंडर करंट सा मामला है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रूद्र कुमार नवागढ़ विधानसभा से भाग्य आजमा रहे है। इससे पहले वे आरंग अहिवारा विधानसभा से चुनाव लड़ चुके है। यहाँ स्थानीय और बाहरी का मुद्दा हावी है, चुनाव के कुछ महीने पहले ही नवागढ़ पहुंचने से उन्हें कार्यकर्ताओ की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते वे आयातित कार्यकर्ताओ के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने में जुटे है। कांग्रेस ने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर मंत्री को उम्मीदवार बनाया था। सुनते है कि मंत्री ने मौजूदा विधायक गुरुदयाल बंजारे को चुनाव से पूरी तरह दूर ही रखा है, ऐसे में विधायक अपने राजधानी के घर में आराम फरमा रहे है। मंत्री मोहम्मद अकबर, मोहन मरकाम और कवासी लखमा के भाग्य का फैसला पहले चरण के मतदान हो चुका है।

 

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