जगदलपुर 09 August 2023: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्भागीय मुख्यालय जगदलपुर में 100 करोड का इंडोर स्टेडियम की घोषणा की. इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मां दंतेश्वरी को नमन करते हुए विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने जनजातीय समुदाय के देवी देवताओं को भी नमन किया।
हमारी सरकार ने सबसे पहले विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर शासकीय अवकाश देने की शुरुआत की है। आदिवासी परब सम्मान निधि की दूसरी किश्त जारी की गई है। यह पहली बार हुआ है कि आदिवासियों के जो त्यौहार है, परब है उसके लिए सम्मान निधि 10 हजार रुपये सालाना देने का निर्णय लिया, आदिवासी भाई बहन उल्लास के साथ अपने त्यौहार परब मना सकें।
विश्व आदिवासी दिवस अमर रहे के नारे के साथ अपना संबोधन प्रारंभ किया। हमने आज के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। आज आदिवासी परब सम्मान निधि की दूसरी किस्त जारी की गई है।यह आदिवासी संस्कृति और परंपरा के संरक्षण संवर्धन का प्रयास है. बस्तर में २१०० देवगुड़ी बनकर तैयार है। नारायणपुर, अबुझमाड़ में मसाहती पट्टा दे रहे हैं। ६७ प्रकार के वनोपजों के समर्थन मूल्य घोषित कर उनकी खरीदी की जा रही है
वनवासियों के जेब में लगातार पैसे डाले जा रहे हैं. आदिवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने का काम किया है। हजारों साल से जंगल से आदिवासियों का नाता रहा है।जो जंगल आज बचा है वह आदिवासी भाइयों के कारण बचा है, वही उनके साथ जीवन यापन करते हैं, उसे सुरक्षित रखते हैं। यही कारण हैं कि हम लोगों ने सर्वाधिक वन अधिकार पट्टा पूरे देश में देने का काम किया है। हमने लोगों को सामुदायिक दावा अधिमान्य पत्र दिया। वन संसाधन अधिकार भी उनको दिया है। अब तो व्यक्तिगत दावा है उसमें ऋण पुस्तिका भी बनने लगा है, उसमें लोन भी मिलने लगा है और उसमें धान की फसल बेचने का अधिकार मिला है।
अंदरुनी क्षेत्रों में अब कोई सड़क काटा नहीं जाता। वहां भी लोग अब सड़कों की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना के माध्यम से घर के पास ही स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं. आज हम 67 प्रकार के वनोपज खरीद रहे हैं। शिक्षा की बात करें तो बस्तर में बच्चे फर्राटे से अंग्रेजी में बात कर रहे हैं और बड़े-बड़े लोग जो अंग्रेजी बोलने वाले हैं वह भी दांतो तले उंगली दबा ले रहे हैं। इस प्रकार से न केवल स्कूल बल्कि अंग्रेजी कॉलेज भी हमारे राज्य में खोले जा रहे हैं। हम सब मिलकर बस्तर जो शांति का टापू है, शस्य श्यामला है, प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है। बस्तर में साफ दिल के लोग हैं, भोले-भाले लोग हैं, मेहनतकश लोग हैं ईमानदार लोग हैं। पिछले कुछ वर्षों से जो भय का माहौल बना था, आज वह भय से उन्मुक्त होते जा रहे हैं। आज हिंसक घटनाओं में बहुत कमी आई है और उसका लाभ जनता उठा पा रही है। लोग आसानी से व्यापार-व्यवसाय कर रहे हैं, शिक्षा से, रोजगार से जुड़ रहे है और अपनी संस्कृति से जुड़ रहे हैं। जिस सुंदर बस्तर की कल्पना हमारे पुरखों ने की थी, हमारा प्रयास आज उसे साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार दिन रात मेहनत कर रही है।
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