चौपाल चर्चा: कमीशनखोर अवर सचिव के तीखे तेवर, सप्लाई चेन पर हाथ कौन डाले.. स्वतंत्र बोल का साप्ताहिक कॉलम।

चौपाल चर्चा

रायपुर 08 अक्टूबर 2022.
सप्लाई चेन पर हाथ कौन डाले..
जब कभी सत्ता बदलती है चेहरे बदलते जाते पर सिस्टम वही रहता है, जिसे कोई बदलने की कोशिश करता है उसे ही बदल दिया जाता है। इसी डर के चलते सरकारी विभागों में सप्लाई लाइन पर कोई हाथ नहीं डालता। इसका मतलब ऐसा नहीं की ईमानदार अफसर कोशिश नहीं करते। दरअसल अधिकारी और कारोबारियों की सप्लाई चेन इतनी मजबूत होती है कि इसके सामने विभाग प्रमुख और आईएएस अफसर फीके पड़ जाते है। एक अधिकारी ने अपना किस्सा किस्सा बताया कि सप्लाई लाइन लंबे समय से ऐसी ही काम कर रही बल्कि समय के साथ मजबूत हुई है, उन्होंने सुधार की कोशिश करते हुए एक मठाधीश को नोटशीट मंत्री को बढ़ाई, दो दिन बाद अधिकारी की छुट्टी हो गई। जिसके बाद अफसर ने व्यवस्था सुधारने के बजाये ऐसे मठाधीशो पर नकेल कस काम लेना ज्यादा मुनासिफ समझा। जिसके बाद विभाग में रामराज्य है.. अधिकारी, सप्लायर सब खुश। निराश तो कार्यवाही की उम्मीद पाले सच्चाई के साथ खड़े होने वाले है।

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अवर सचिव के तीखे तेवर-
एक विभाग में अवर सचिव का तेवर चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल हुआ यूँ की एक फाइल दस्तखत के लिए उच्चाधिकारी के पास पहुंचा। शांत स्वभाव और स्वच्छ छवि के अधिकारी ने बैठक का एजेंडा पूछा और उसमे कुछ नए बिंदु जोड़ने कहा। इतना सुनते ही अवर सचिव भड़क उठा और कहा- आप ही जोड़ दे। अधिकारी ने अग्रेसिव होने का कारन पूछा तो अवर सचिव और भड़क गया और फाइल टेबल पर फेंक कुछ अनुचित कहा। अधिकारी को ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी। नाराज अफसर ने दुत्कारते हुए चेंबर से बाहर निकलने कहा। दरअसल उक्त घटनाक्रम विभाग में जारी मनमानी और शिकायतों को लेकर था। छोटा विभाग पर कारनामे बड़े बड़े, हजारो करोड़ का घोटाला। शिकायतो पर कार्यवाही तो छोडो शिकायती पत्र ढूंढने पर मिल जाए तो बहुत है। अवर सचिव एक ही विभाग में विगत चार वर्षो से जमे हुए है, कुछ दिनों के लिए हटे पर विभाग का मोह खींच लाया। बताते है कि खटराल किस्म के अफसरों के लिए ढाल बन सहयोग करना आदत है, ऐसे में कोई गड़बड़ी, भ्रष्टाचार और मनमानी पर अंकुश लगाने जैसी बाते कहे तो नाराजगी होगी ही। पर ऐसी स्थितियां मंत्रालय स्तर पर ठीक नहीं है, मुख्य सचिव को सज्ञान लेना चाहिए।
कलेक्टर्स एसपी कॉन्फ्रेंस..
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज कलेक्टर्स और एसपी का संयुक्त बैठक ले कामकाज में कसावट और बिगड़ती घटनाओ पर चर्चा की। शुरुआत में सब ठीक रहा पर अचनाकल से सीएम का मूड बदल गया। सीएम ने मौजूद पुलिस अधीक्षकों से पूछा कि नशे का सामान क्या आसानी से मिल रहा है? अधिकारी बगले झाकने लगे। पिछली बार के कॉन्फ्रेंस के बाद बड़ी संख्या में एसपी और कलेक्टर्स का विकेट गिरा था, इस बार भी कुछ अधिकारी बदले जा सकते है। हालाँकि कुछ दिन पहले ही सरकार ने कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षकों को रिप्लेस किया है ऐसे में अधिकारी सब कुछ अच्छे से बीतने की दुआ कर रहे है।
सवालों में पीएससी..
सरकार ने टामनसिंह सोनवानी पर भरोसा जताते हुए छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की कमान सौपा। सोनवानी ने भरोसा को बरक़रार रखते हुए रिजल्ट भी दिया। सुबह इंटरव्यू शाम को रिजल्ट। पहले महीनो तक भर्ती प्रक्रिया अटकी रहती थी पर कुछ महीनो में विघापन, परीक्षा के साथ भर्ती प्रक्रिया पूर्ण हो जा रही है। इन सब के बीच एक आकड़े चौकाने वाले है कि आयोग द्वारा निकाले गए विज्ञापनों में 65 फीसदी से अधिक विज्ञापनों को लेकर उच्च न्यायालय में केविएट दायर किया गया है। ऐसा क्यों ? इसका जवाब तलाशा जा रहा है। आयोग ने एक अभ्यर्थी का चयन कर परिणाम भी जारी दिया। इस बीच पता चला कि अभ्यर्थी आयोग द्वारा निर्धारिय योग्यता को पूरा ही नहीं करता, जिसके बाद आयोग और उसकी कार्यशैली पर प्रश्न उठा रहा है। कुछ लोग विभिन्न पदों पर हुई भर्ती की जानकारी जुटाने में जुट गए है, अगर उनमे भी ऐसा ही कुछ निकला तो बीजेपी द्वारा आयोग अध्यक्ष पर लगाए गए आरोप सही साबित हो जायेंगे।
सबका प्रशासनिक ट्रांसफर
महिला बाल विकास विभाग में बीते दिनों 95 पर्यवेक्षकों का तबादला हुआ, तबादला का कारण प्रशासनिक बताया गया। तबादलों के मौसम में प्रशासनिक के साथ कर्मचारी और अधिकारी स्वयं के व्यय पर भी ट्रांसफर करवा रहे है। जिसके बाद कुछ जानकर पूछ रहे है कि आखिर सभी का प्रशासनिक तबादला कैसे, क्या अधिकारी इन कर्मियों से परेशान थे, जिससे सबका का तबादला प्रशासनिक किया गया? दरअसल प्रशासनिक स्तर पर ट्रांसफर होने पर संबंधित कर्मी को शासन संबंधित स्थान पर आवाजाही का खर्च वहन करती है जबकि स्वयं के व्यय पर इसके उलट अधिकारी आवाजाही का खर्च स्वयं वहन करता है। ऐसे में कर्मियों को दोगुना फायदा और शासन को नुकसान। एक तरफ मुख्यमंत्री खर्च में कटौती करने और मितव्ययिता का संदेश दे रहे तो दूसरी तरफ विभागीय अफसर उनके आदेशों की धज्जियाँ उड़ा रहे है।
दूसरो पर कार्यवाही, अपनों पर कब?
महिला बाल विकास विभाग में खरीदी बिक्री, पदोन्नति, सीएसआर फंड, भर्ती सहित दर्जनों मामलों में हुई गड़बड़ी की जानकारी बतौर शिकायत बुद्धजीवियों ने उच्चाधिकारियों के सज्ञान में लाया। आवेदन पर आवेदन पर फाइल थोड़ी आगे बढ़ कर रुक गई। इसी बीच एक पूर्व कर्मी की शिकायत विभाग से दो महीना पहले सेवानिवृत हुए दो कर्मचारीयो ने की। अब हाइट देखिये, 1 तारीख को शिकायत हुई और 5 तारीख को जाँच समिति बन गई और 15 को समिति की पहली बैठक भी हो गई। तेजी के कारणों की जानकारी मिली कि उक्त पूर्व कर्मी द्वारा लिखा पढ़ी से विभाग के संचालक और कुछ अधिकारी परेशान है। बार बार उन्हें उच्चाधिकारीयो को सफाई देनी पड़ती है। ऐसे में कुछ तरकीब अपनाई गई। शिकायतों और जाँच समिति को लेकर विभाग और उच्चाधिकारियों का अभी तक का रवैया कुछ खास नहीं है। अब सवाल यह है कि शासन को नुकसान पहुंचाने वाले कर्मियों की शिकायत पर कार्यवाही कब होगी।

 

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