चौपाल चर्चा: समरथ को नहीं दोष गुसाई, निर्भय एसडीएम और तिवारी की छुट्टी.. स्वतंत्र बोल का साप्ताहिक कॉलम।

राहुल गोस्वामी
चौपाल चर्चा, 25 जून 2023.
पीसीसी चीफ को नुकसान-
सत्तासीन कांग्रेस में सीएम और पीसीसी चीफ की बीच के मतभेद सर्विदित है, पर इस बार मामला दूसरा है। हुआ यूँ की पीसीसी चीफ ने महामंत्रियों के कार्यभार में बदलाव किया, आदेश पर अमल हो पाता उससे 24 घण्टे के भीतर ही प्रदेश प्रभारी ने उक्त आदेश को निरस्ती का दुसरा आदेश जारी कर दिया। जब यह सब हुआ तो प्रदेश प्रभारी राजधानी में ही थी। ऐसे में विवाद को बैठक कर सुलझाया जा सकता था पर ऐसा ना हुआ और सोशल मीडिया में प्रदेश प्रभारी का लिखा पत्र घूमने लगा। अब सभी यह जानना चाह रहे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि प्रदेश प्रभारी और पीसीसी चीफ के बीच ठन गई ? शैलेजा ने प्रदेश प्रभारी बनने के बाद से संगठन और सरकार के बीच तालमेल बिठाने की कोशिशे की थी, पर हाल फिलहाल में घटे घटनाक्रम से सब उल्टा होता दिख रहा है। इससे पीसीसी चीफ को नुकसान हों सकता है।

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तिवारी की छुट्टी-
पर्यावरण सरंक्षण मंडल में सदस्य सचिव रहे आरपी तिवारी को हटाकर सरकार ने वन अफसर को बिठा दिया। श्री तिवारी लंबे समय से उस पद पर थे, अगर देखा जाये तो अभी तक सब कुछ ठीक रहा। एनओसी से लेकर विज्ञापन तक में वे मंत्री के आदेशों के अनुरूप काम कर रहे थे पर उन्हें अचानक रिप्लेस करने पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो उठा। तिवारी लोकल जांजगीर जिले के रहवासी है और तीन महीने बाद सितंबर में रिटायर हो जायेंगे। उन्हें भी ऐसी फेरबदल की उम्मीद नहीं रही होगी। बताते है कि कुछ महीने पहले ईडी द्वारा की गई छापेमारी और उनका सॉफ्ट कॉर्नर का नुकसान उन्हें उठाना पड़ा है।
निर्भय एसडीएम-
राजधानी से सटे एक अनुभाग में मुआवजा वितरण में बड़ा घोटाला हुआ है। अनुभाग में रहे अधिकारी ने ऐसा मुआवजा बांटा कि वास्तविक हकदार अब कार्यालय के चक्कर लगा रहे है। मुआवजा में गड़बड़ी का मामला करीब 400 करोड़ का है जिसमे अनुविभागीय अधिकारी ने सिर्फ धनार्जन किया और मनमाफिक मुआवजा बाँट दिया। उन्होंने जमीन किसी और का और मुआवजा किसी और को दे दिया, अब पीड़ित चक्कर लगा लगा के परेशान है तो कुछ हाइकोर्ट भी चले गए। अधिकारी की शिकायत हुई तो जाँच का जिम्मा उनके सीनियर और स्वजाति अफसर को मिली जो जातीय एकता की मिशाल पेश करने में जुटे है। नए नवेले अफसर की आगामी दिनों में मुश्किलें बढ़ेगी।
अफसरों के सामने कट गया जंगल ?
राजधानी के अभनपुर ब्लॉक् में डेढ़ सौ एकड़ जमीन में वर्षो पुराना जंगल एक बिल्डर ने काट डाला, और अफसरो को भनक भी नहीं लगी। मंत्रालय और रायपुर के बेहद नजदीक इस क्षेत्र में जहा पीसीसीएफ और मुख्य सचिव तमाम जिम्मेदार रहते है, वही काण्ड हो गया। अब जिम्मेदार लाठी पीटने में लगे है। एक तरफ सरकार वृक्षारोपण को बढ़ावा देने किसानो को प्रोत्साहित कर रही, अनेको योजनाए संचालित कर रही..वही डेढ़ सौ एकड़ से अधिक जमीन पर फैले जंगल कट जाए और अफसरो को कटाई करने वाले की जानकारी भी ना हो।
कुलपति का विदेश दौरा-
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरीश चंदेल को अभी घाना के दौरा में है। सप्ताह भर के दौरे पर गए चंदेल संभवतः रविवार देर शाम लौटेंगे .इससे पहले फरवरी में सप्ताह भर के दौरा कार्यक्रम में मनीला गए थे। उनके चाहने वाले बताते है कि उन्हें विदेश दौरा, अच्छा लगता है, और साल में तीन चार बार दौरा कर आते है। प्रवास अच्छा है पर इसका लाभ विश्वविद्यालय को भी मिलना चाहिए।

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समरथ को नहीं दोष गोसाई-
रामचरित मानस में लिखी चौपाई वन विभाग के अफसरो पर फिट बैठ रही है। विभाग में बड़े घोटालेबाजो और भ्रष्टाचारियो पर रिपोर्ट बनने के बाद भी कार्यवाही नहीं हो पा रही, उल्टे उन्हें सार्वजनिक करने वालो पर प्राथमिकी दर्ज हो रही है। मरवाही रेंज में एसडीओ संजय त्रिपाठी एक योजना में 1 करोड़ से अधिक राशि के गड़बड़ी के दोषी पाए गए,फाइल कार्यवाही के लिए मंत्री बंगले भी पहुंची, पर आदेश अब तक नहीं निकला है। उनकी पत्नी चन्दन त्रिपाठी आईएएस है। उधर इसी विभाग में प्रमोट होकर डीएफओ बनी शमा फारुकी के खिलाफ हुई शिकायत ने उन्हें देश भर चर्चित कर दिया पर अब तक विभागीय अफसरों ने सवाल जवाब करना तक मुनासिब नहीं समझा। वे पहले भी विवादों में रही, कोरबा में कलेक्टर से उलझ गई थी।

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