चौपाल चर्चा: मंत्री और उनके रिश्तेदार, नेताओ का जमीन प्रेम.. स्वतंत्र बोल का साप्ताहिक कॉलम।

राहुल गोस्वामी
चौपाल चर्चा 22 दिसंबर 2024.

मंत्रिमंडल विस्तार-
विष्णुदेव साय सरकार के एक साल पूरे हो गए। सरकार ने एक साल पूरे होने पर जश्न भी मनाया, इन एक साल में सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए मोदी की गारंटी पर काम किया, और बड़े बड़े वादों को पूरा किया। सरकार में दो मंत्रियो के दो पद खाली है,चर्चाये सही बैठी तो नए साल में दोनों भर जाएगी.. इसके लिए दावेदार लॉबिंग कर रहे है। नए विधायकों को शीर्ष नेतृत्व ने मंत्री बनाया जिनमे अधिकांश तो अपने में ब्यस्त है, साल भर बाद भी विभाग में उनकी पकड़ नहीं बन पाया है। पहली बार विधायकी और सीधे मंत्री बन जाने से अभी तक वे काजू कतली और फूल मालाओ से बाहर नहीं निकले है। ऐसा नहीं कि सभी नए यही कर रहे पर कुछेक की स्थिति सार्वजनिक है, ऐसे में उन्हें रिप्लेस किया जाएगा।

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नेताओ का जमीन प्रेम-
सरकार के नए विधायक और मंत्रियो का जमीन प्रेम छलक रहा है, अधिकांश इसी काम में जुटे हुए है। नए विधायक और मंत्रियो ने सड़क किनारे के जमीनों पर पेट्रोल पंप और अंदरूनी इलाको में फार्म हाउस बनाने की योजना बना रखे है। एक मंत्री ने खरोरा क्षेत्र में 60 एकड़ से ज्यादा जमीं खरीदा है, तो दूसरे ने साल भर में ही चुनावी खर्च चुकता कर 70 एकड़ जमीन ख़रीदा है। विधानसभा में ज्यादा हंगामा भूमाफियाओ को लेकर हुआ है।

मंत्री और उनके रिश्तेदार-
सरकार बनने के बाद मंत्रीयो को ट्रेनिंग दिया था। ट्रेनिंग में उन्हें  सरकारी कामकाजो के बारे में बताया गया था, पर शायद कुछ मंत्रियो ने उसमे कुछ नहीं सीखा। मंत्रियो के कामकाज में उनके रिश्तेदारों का इतना दखल है कि विभागीय अधिकारी परेशान है। हर छोटी बड़ी बातो पर मंत्रियो के रिशतेदार विभाग प्रमुख से लेकर सचिव तक को फ़ोन घुमा रहे है। एक मंत्री के भाई ,भतीजे ने काम संभाला है तो दूर के रिश्तेदार को ओएसडी बना पूरा परिवार हुकुम चला रहे। मंत्री के भाई -भतीजे निज सचिव बने तो पति के दखलंदाजी से संगठन के नेता भी हैरान है। बैठकों में मंत्री के साथ बैठना तो आम बात है, कुछ दिनों पूर्व संगठन के नेताओ ने घुड़की पिलाया है, कितना असर होता समय मे पता चलेगा।

दागी अधिकारी को बनाया ओएसडी-
एसडीएम रहते जमीनों पर धुआँधार बैटिंग करने वाले विवादित अधिकारी को मंत्री का ओएसडी बनाया गया है। एसडीएम रहते कवर्धा, बेमेतरा बेरला महासमुंद में सरकारी और मठ मंदिरो की जमीनो खेल किया.. लोग अभी तक उबर नहीं पाए है। विवादों के सार्वजनिक होने पर चार महीने पहले ओएसडी को हटाने नोटशीट चला था, फिर कही जाकर रुक गया। दरअसल ओएसडी से मंत्री जी बेहद लगाव है, और शायद फजीहत कारण भी यही है।

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सरकारी जमीन और कलेक्टर-
राजधानी के अमलीडीह के सरकारी जमीन को बिना नियम कानूनों का पालन किये बिल्डर को देने के दौरान तत्कालीन कलेक्टर सर्वेश भूरे और एडीएम बीबी पंचभाई थे। दोनों की जोड़ी ने राजधानी में दर्जनों विवादित मामलो को निपटाया है, बताते है की धरमपुरा के विवादित जमीन पर भूमाफिया के पक्ष में आदेश करने से मना करने पर पटवारी और तहसीलदार को हटाकर दूसरे को बिठाया गया,,, दूसरे तहसीलदार ने बैठते ही आदेश कर दिया। भारत माला परियोजना में हुए मुआवजा घोटाले, अवैध प्लॉटिंग के खसरो को ब्लॉक कर.. फिर ओपन करने में हुए खेल में, इन्ही दोनों अधिकारियो की संलिप्तता सामने आई थी।

डीएमएफ और कलेक्टर
नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ में फिर खेल शुरू हो गया है। पूर्व की सरकार में हुए डीएमएफ घोटाले की जाँच जारी है, उसके बाद भी रुक नहीं रहा है। दंतेवाड़ा में डीएमएफ फंड से एयर एंड सरफेस डिसइंफेक्शन यूनिट बनाने टेंडर जारी हुआ है, इसमें विवाद हो गया है। टेंडर में ऐसी शर्ते रखी गई जिसे देख लगता है किसी खास को लाभान्वित करने की योजना बनाई गई हो, पहले टेंडर के बाद दूसरी बार निविदा बुलाई गई है। एयर एंड सरफेस डिसइंफेक्शन यूनिट बनाने के नाम पर मॉडुलर ऑपरेशन थियेटर बनाया जाएगा,, और जैम के नियमो का उल्लंघन भी किया गया है। निविदा 28 दिसंबर तक ऑनलाइन है।

 

चौपाल चर्चा: सरकारी जमीन का खेल, आरएसएस नेता का सरंक्षण.. मंत्री को फायदा या नुकसान, स्वतंत्र बोल का साप्ताहिक कॉलम।

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