राहुल गोस्वामी
चौपाल चर्चा, 17 मार्च 2024.
मुख्यमंत्री का भोज..
इसी कॉलम में 10 मार्च को हमने मुख्यमंत्री के सीएम हाउस प्रवेश और भोज को लेकर लिखा था। जिसके बाद 13 मार्च को सीएम विष्णुदेव साय ने बीजेपी कार्यकर्ताओ सहित मंत्रियो के लिए भोज का आयोजन किया। सीएम और उनकी पत्नी ने लोगो को खुद अपने हाथो से खाना परोसा। तब सरकार के तीन महीने पुरे हुए थे। कैबिनेट के सहयोगी, सत्तासीन पार्टी के विधायको ने सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री श्री साय को बधाइयाँ भी दी।
बदले जायेंगे मंत्री…?
पांच साल वनवास के बाद सत्तासीन होने और मंत्री मंडल में जगह बना पाने में भाग्यशाली मंत्रियो के काम धीरे धीरे बाहर आने लगे है। सरकार में आने के बाद स्पष्ट समझाइश के बाद भी ऐसी हिमाकत..मंत्रिमंडल में नए विधायकों को मंत्री काफी सोच विचार कर बनाया गया था, पर शुरुआत के डेढ़ महीने शांत रहने के बाद धीरे धीरे माननीयो ने हाथ खोलना शुरू कर दिया है, उनके निवास और कार्यालयों में सत्ता को नमस्कार करने वाले बिचौलिये व सप्लायरों का डेरा ज़मने लगा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट में फेरबदल होगा तो तीन से अधिक मंत्री बदले जा सकते है। ये वे माननीय है जिनका परफॉर्मेंस सदन के अंदर और बाहर जीरो है पर लक्ष्मी दर्शन में सबसे आगे है। वही एक खाली और खाली होने वाले मंत्री पद पर भी दावेदारों की नजरे है।
अफसरों की फौज,
एक मंत्री के बंगले में अधिकारियो और कर्मचारियों की फौज जमा हो गई है। राज्य प्रशासनिक सेवा, पंचायत, आबकारी, स्वास्थ्य, महिला, पुरुष सहित विभिन्न विभागों के एक दर्जन से अधिक से अधिक कर्मचारी जम गए, पर आउटपुट जीरो है। दरअसल महीनो बाद भी उनमे में कार्य विभाजन नहीं हुआ है, ऐसे में कामकाज प्रभावित हो रहा है। दरअसल पहली बार विधायक और फिर सीधे मंत्री बनना आसान नहीं है, जब भाग्य प्रबल हो तो तभी ऐसा संयोग बनता है। मंत्री सीधे और सरल है, उन्हें अभी काम समझने में समय लग रहा। फाइलों की मूवमेंट ढीली होने से विभागीय सेक्रेटरी परेशान है। नाराजगी का एक कारण और भी है कि मंत्री की बजाये उनके रिश्तेदार ही विभागीय सेक्रेटरी से सवाल जवाब कर देते है।
महिला कर्मचारियों का सम्मान नहीं–
महिलाओ के सम्मान, सुरक्षा और पोषण के लिए काम करने वाला महिला बाल विकास विभाग में ही महिलाओं का सम्मान नहीं हो पा रहा है, और जब विभाग में डीपीओ से लेकर संचालक सेक्रेटरी और मंत्री सभी महिला हो तो इससे ज्यादा दुर्भाग्य और क्या होगा कि एक महिला को सम्मान की सुरक्षा के लिए पत्राचार करने पर पनिशमेंट किया जाए। महिला बाल विकास विभाग रायपुर में पदस्थ एक महिला कर्मचारी के साथ साथ काम करने वाले पुरुष कर्मचारी ने बदसलूकी की, अश्लील गाली गलौच किया, जिसकी शिकायत पीड़िता ने जिला अधिकारी निशा मिश्रा से की तो अधिकारी ने दोनों पक्षों को बुलाकर समझाईश दी, और उसके साथ ही महिला कर्मचारी के साथ मानसिक प्रताड़ना का दौर शुरू हुआ। पीड़िता ने वस्तु स्थिति से कलेक्टर को अवगत कराया तो डीपीओ ने पीड़िता कर्मचारी को द्वेषपूर्वक कार्यालय महिला बाल विकास से हटाकर कलेक्टरेट के जनदर्शन शाखा में अटैच कर दिया। जब राजधानी का ऐसा हाल है तो दूरस्थ क्षेत्रो की स्थिति समझा जा सकता है।
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तबादलों में खेल-
चुनाव आचार सहिंता लागू होने के सप्ताह भर पहले से थोक में तबादले हुए। पंचायत विभाग, सिचाई, वन, लोक निर्माण, राजस्व और पुलिस.. पर सबसे ज्यादा चर्चा राजस्व और पुलिस विभाग की है। पुलिस विभाग में गृह मंत्री ने अपनी ताकत का अहसास कराते हुए पूर्व सरकार में महत्वपूर्ण पदों में जमे, पावरफुल रहे आईपीएस, एडिशनल एसपी और डीएसपी को नक्सल उन्मूलन के लिए भेजा। आदेश होने पर गैर विभागीय लोगो के साथ विभागीय कर्मियों ने ख़ुशी मनाया, पर 15 दिनों बाद अधिकांश के आदेशों में संशोधन हो गया। जिन्हे बस्तर जगरकुंडा और सुकमा भेजा गया था, वे सभी जाने के पहले ही वापस हो गये। आखिर 15 दिनों में ऐसा क्या हुआ गृह विभाग को पुराने आदेशो मे संशोधन करना पड़ा ? बताते है कि ट्रांसफर में बड़ा पॉवर गेम हुआ है, चर्चा खोखे का है। उधर राजस्व विभाग में 215 नायव तहसीलदारो, तहसीलदारों के तबादले को कोर्ट के निर्देशों के बाद सरकार ने निरस्त कर दिया, उन कर्मियों के साथ दोहरी समस्या है। चुनावी आचार सहिंता की आड़ में जमकर तबादलों में जमकर खेल हुआ है।
भुवनेश का कल्याण-
राजस्व तबादलों में गड़बड़ी के बाद बिना विभाग मंत्रालय में बिना विभाग पदस्थ किये सीनियर आईएएस भुवनेश यादव को सरकार ने समाज कल्याण विभाग का सचिव बनाया है। कुछ दिनों पहले जब उन्हें हटाया गया तब चर्चा थी अब शायद लोकसभा के बाद ही कुछ मिले पर चार दिनों बाद ही उन्हें समाज कल्याण विभाग दोबारा मिल गया। इससे पहले भी वे समाज कल्याण विभाग के सचिव रह चुके है, और पंकज वर्मा को अपर संचालक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है।
स्कूल शिक्षा में प्रभावाद-
स्कूल शिक्षा विभाग में 28 जिलों में प्राचार्यो और सहायक संचालको को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार दे दिया गया। विभाग में 32 उपसंचालक है उसके बाद भी कनिष्ठों को प्रभार देना, लोगो को जमा नहीं। ऐसा कांग्रेस सरकार में पुरे पांच साल चलता रहा, अब जब बृजमोहल अग्रवाल जैसे सक्षम मंत्री के विभाग ने ऐसा आदेश जारी किया तो सबके हक्के बक्के रह गए। बताते है कि अपनी तेज तर्रार और स्पष्टवादि कार्यशैली को लेकर जाने पहचाने वाले मोहन भैया लोकसभा प्रत्याशी बनाये जाने के थोड़े बदले बदले से है। स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा में हुए तबादले को देखकर तो यही लगता है।
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