राहुल गोस्वामी
चौपाल चर्चा, 08 जुलाई 2023.
बीजेपी में उत्साह-
राजधानी में भाजपा के विजय संकल्प रैली में प्रधानमंत्री को सुनने उमड़ी भीड़ से बीजेपी नेता गदगद है। कार्यक्रम की तैयारी में बीजेपी नेता दिन रात एक कर जुटे रहे। खेती किसानी के दिनों में सुबह दस बजे लाखो की संख्या में कार्यकर्ताओ की भीड़ जुटाना टफ था, पर अंततः बीजेपी इसमें सफल रही। मोदी के भाषण ने सुस्त पड़े बीजेपी कार्यकर्ताओ को चार्ज करने का काम किया है। कार्यकर्ताओ के उत्साह को देखते हुए माहौल बनाए रखने जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक और सभा हो सकती है। बीजेपी सूत्रों के अनुसार सब कुछ ठीक रहा तो सभा बिलासपुर या सरगुजा संभाग में होगा। इस कार्यक्रम में प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर की रणनीति कारगर रही तो प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव, महामंत्री विजय शर्मा और ओमप्रकाश चौधरी का कद बढ़ा है।
साव पर बढ़ा भरोसा-
अरुण साव के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद सबसे बड़ा आयोजन था विजय संकल्प रैली। आयोजन के सफल होने की ख़ुशी अरुण साव के चेहरे पर मंच पर दिखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुण साव को शाबाशी भी दी। मंच में बनाई गई बैठक व्यवस्था में पीएम मोदी ने एक तरफ अरुण साव तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह.. मतलब साफ़ है कि पार्टी दोनों को साथ लेकर चलेगी। अरुण साव साहू समाज से ताल्लुख रखते है और साहू समाज को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता रहा है।
डीजीपी को हटाने की मांग-
प्रदेश में सूबेदार और सब इंस्पेक्टर की चल रही भर्ती प्रक्रिया कोर्ट पहुंच गई है। आधा दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए सीबीआई जाँच की मांग करते हुए चयन समिति के अध्यक्ष पुलिस महानिदेशक को भर्ती प्रक्रिया से हटाने का आग्रह किया है। जिसके बाद पूरी प्रक्रिया में कोर्ट में अटकने की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले शिक्षकों की भर्ती पर कोर्ट ने अंतिम परिणाम जारी करने पर रोक लगा चुका है। शायद यही वजह होगी की नियुक्ति करने वाले अधिकांश विभागों ने पहले ही केविएट दायर कर दिया गया था।
किस्मत हो तो ऐसी..
उच्च शिक्षा विभाग में एक डिप्टी रजिस्ट्रार है सौरभ शर्मा। कुछ महीने पहले ही प्रमोट होकर एआर से डीआर बने है। ये जहा भी रहे विवादों ने पीछा नहीं छोड़ा, दुर्ग के बाद रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय और फिर रायगढ़ के शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय.. उसके बाद भी रजिस्ट्रार का प्रभार पाने में सफल रहे। असिस्टेंट रजिस्ट्रार से डिप्टी रजिस्ट्रार प्रमोट होकर रायगढ़ पहुंचने पर वह पूर्व में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ सहायक प्राध्यापक से तालमेल नहीं जमा, तो शिकायतो का पिटारा महानदी भवन भेज दिया। अधिकारियो ने सज्ञान लेकर एक ब्राह्मण कुमार को हटाकर दूसरे को बिठा दिया। सौरभ को एआर से डीआर प्रमोट करने का मसला हाईकोर्ट में लंबित है, और दो-तीन सुनवाई भी हो चुकी है।
16 लाख की बाइक रैली-
राजधानी में आयोजित प्रदेश स्तरीय महिला मड़ई कार्यक्रम में में खेला हो गया। अधिकारियो ने बिना निविदा प्रक्रिया के करोडो का काम एक नामचीन कंपनी को दे दिया, अफसरों ने चंद किलोमीटर की बाइक रैली में 16 लाख रुपये से अधिक खर्चा किया। अब अफसरों का तर्क है कि “हमेशा ऐसा ही होता रहा है।” अगर हमेशा ऐसा तो उसकी जाँच होनी चाहिए। मतलब तुर्रा ऐसा कि गलती के बाद भी थोड़ी भी शर्मिंदगी नहीं.. और अगर ऐसा ही करना है तो शासन से टेंडर की बजाये इम्पेनल कंपनियों से काम करने का आदेश जारी करा देना चाहिए ताकि टेंडर की जरुरत ही ना रहे और प्रदेश के सभी विभाग इम्पैनल कंपनियों से काम ले सके। मामला ईओडब्लू से लेकर अन्य बड़ी एजेंसियो तक पहुंचा है, देखते है क्या होता है।
जीएम के तेवर-
सरकार के एक छपाई वाले विभाग में अधिकारियो की पौ बारह है। कभी इस विभाग में जीएम रहे अफसर क़ानूनी उलझनों में फंसे है, तो एक दूसरे पर कभी भी गाज गिर सकती है। मौजूदा जीएम भी उन्ही के पदचिन्हो पर चल रहे है। अधिकारी का तेवर ऐसा कि मंत्रालय सीएस से मुलाकात हो जाये पर इनसे असंभव है। इनसे मिलने पहुंचे लोग बताते है कि साहब मिलते ही नहीं और फ़ोन नहीं उठाने की कसम खा रखी है। हां अपने मनोरंजन का पूरा ख्याल रखते हुए प्रबंध ऑफिस में ही कर रखा है। शायद चैयरमेन द्वारा ऐसी नसीहत मिली होगी, नहीं तो ऐसी हिमाकत करना संभव नहीं है। सिविल सेवा आचरण सहिंता सही नहीं माना जाता।
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