राहुल गोस्वामी
चौपाल चर्चा, 10 जून 2023.
एपीसी की क्लास-
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने बीते दिनों महात्मा गाँधी वानिकी एवं उद्यानिकी और इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय के कुलपतियों की बैठक ली। बैठक में एपीसी के तेवर देख दोनों विश्वविद्यालयो के जिम्मेदारों के होश पाख्ता हो गए। सरल स्वभाव के डॉ. कमलप्रीत सिंह से कुलपतियों को फटकार की उम्मीद नहीं थी, पर जो हुआ उसके जिम्मेदार भी वे खुद है। दरअसल कृषि विश्वविद्यालय से अलग होकर वानिकी विश्वविद्यालय बना, वर्षो तक अधिसूचना जारी नहीं होने से बंटवारा न हो सका। अब अधिसूचना जारी हुई तो कॉलेजों और संसाधनों को लेकर दोनों कुलपतियों के बीच शीतयुद्ध चरम पर है। वानिकी वाले कृषि वाले को चिट्टी लिखते है पर कोई जवाब नहीं आता। ऐसे में नाराज कुलपति ने शासन को अवगत कराया तो एपीसी ने दोनों विश्वविद्यालय के कुलपति और रजिस्ट्रार की संयुक्त बैठक लेकर मामला सुलझाने की कोशिश की, दोनों दाए-बाए करने लगे तो दोनों अहसास दिलाया कि उनके ऊपर एपीसी है और वे पक्षपात की बजाये जनहित का काम करेंगे। उम्मीद है कि इसके बाद वैसी परिस्थितियों की पुनरावृति नहीं होगी।
वीडियो का कमाल..
महिला बाल विकास की चर्चा योजनाओं से ज्यादा भ्रष्टाचार के लिए होती है, पर विभाग के अधिकारी अब उससे आगे मामलो को दबाने और छिपाने के चर्चित हो रहे है। कुछ दिनों पहले कांकेर के बाल गृह में छोटे बच्चो को अमानवीय तरीके से पिटाई करने का वीडियो सामने आने के बाद संचालिका के विरुद्ध अपराध पंजीबध्द कर गिरफ्तार किया गया तो डीपीओ को सस्पेंड। यह घटना साल भर पुरानी है जिसका वीडियो अब सामने आया है। साल भर पहले जब मामला सामने आया था, बात संचालनालय तक पहुंची पर सब मैनेज कर लिया गया। बताते है कि वहाँ पदस्थकर्मी नौकरी से हटाने के बाद अचानक से वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद मज़बूरी में विभागीय अफसरों ने कार्यवाही की। जिस अफसर को सस्पेंड किया गया वह अब महीनो से मोहला मानपुर पदस्थ है, ऐसे में समझा जाए कि अगर वीडियो सामने ना आता तो कार्यवाही भी नहीं होती और बच्चो पर अमानवीय कृत्य जारी रहता।
कारनामे महिला बाल विकास के-
मामले को दबाने में अगर कोई अवार्ड होता तो वह महिला बाल विकास के संचालनालय में बैठे अफसरों को जाता। राजधानी में संचालित एक बाल गृह में नाबालिक युवती के साथ कुकृत्य हुआ, वह गर्भवती भी हुई। मामला सामने आने पर तत्कालीन अफसरो ने दबा दिया और युवती को ही गलत बताया। एक साल बाद फिर से वह मामला खुला तो पुलिस पोस्को एक्ट अंतर्गत एफआईआर दर्ज कर दो आरोपितों को गिरफ्तार किया और भी जाँच हुई पर अफसरो पर आंच तक नहीं आई। संचालक के बंगले में लाखो रुपये खर्चने वाली शिकायत को भी मंत्रालय से मैनेज कर शांत कर दिया गया। ऐसे प्रकरण विभागीय अफसरो की कार्यप्रणाली को उजागर करते है।
संचालक कौन, नहीं पता?
खाद्य एवं औषधि प्रशाधन विभाग के अफसरों ने मंदिरहसौद क्षेत्र में बंद फ़ैक्ट्री में छापेमारी कर करोडो का नकली गुटखा जब्त किया था। कार्यरत मजदूरों ने अफसरों को जानकारी दी, उसके 15 दिनों बाद भी अफसर गुटखा कंपनी संचालक और फ़ैक्ट्री मालिक का पता नहीं लगा सके। बताते है कि कमीशन की रेट और तालमेल में कमी के बात छापेमारी तक पहुंच गई। विभाग के एक अधिकारी गुटखा संचालक से कुछ ज्यादा चाह रहे थे और संचालक ने इंकार किया तो आधी रात टीम पहुंच गई छापा मारने। विभागीय अफसरों के आलावा सबको पता है कि गुटखा दुर्ग जिस निवासी गुरमुख जुमनानी का है। वह नांदगांव के सोमनी में भी साबुन फ़ैक्ट्री की आड़ में यही कर रहा था। नांदगांव और भिलाई पुलिस ने भी करोडो का गुटखा पकड़ा था। अपुष्ट जानकारी अनुसार सेटेलमेंट होने के बाद अफसरो ने उस चर्चा करना भी बंद कर दिया है।
मंत्री के रंगीन मिजाज ओएसडी !
प्रदेश के दिग्गज मंत्री रविंद्र चौबे के ओएसडी जयशंकर उरांव चर्चा में है। सोशल मीडिया में उनके रंगीन मिजाजी की किस्से वायरल हो रहे है, जिसके अनुसार उन्होंने एक सरकारी विश्वविद्यालय में एक क्वार्टर भी इसी काम के लिए अलॉट कराया है, जहा देर शाम महफ़िल जमती है। जयशंकर उरांव सरकारी सेवा में साल 2000 से है, पर साल 2018 में डीसी बने। 2020 से मंत्री चौबे के विशेष सहायक है, वायरल होती खबरे कितना सही और गलत है वे जाने। अब उनके कामो की बजाए कारनामो की चर्चा हो रही है। ऐसे ही कारनामो पर सिविल लाइन के बड़े बंगले के ओएसडी की वापसी हो गई थी, उनके नाम का बोर्ड संवाद में दिखता है। जयशंकर के परिवार में अधिकांश सरकारी सेवा में है, उनके एक भाई राजस्व मंत्री के ओएसडी है।
कोरबा में राम मंदिर-
राजस्व मंत्री जयसिंग अग्रवाल ने कोरबा में भव्य राम मंदिर बनवाया है, एक दिन बाद प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर आम लोगो के लिए खुल जायेगा। करोडो की लगत से बने इस मंदिर की भव्यता देखते बनती है। प्रदेश में चुनावी माहौल में भगवान् राम आस्था का केंद्र बने हुए है। कुछ महीने पहले बेमेतरा जिले में एक विधायक ने भी 25 करोड़ की लागत से राम मंदिर बनवाने भूमिपूजन किया था।
खबरों में कमी या तस्करी में ?
प्रदेश के सरहदी जिले में डेढ़ साल पहले बड़ी मात्रा में गांजा, सोना और नगदी बरामद होने की खबरे अखबारों की सुर्खियां बनती थी। आये दिन करोडो रुपये की नगदी, सोने और चांदी की सिल्लियां और गांजे की खेप बरामद होती थी। अब अखबारों में ऐसी खबरों में पूर्व की अपेक्षा कमी आई है। अब ऐसे मामले ही कम हो गए या उन्हें मीडिया उन्हें पर्याप्त स्पेस नहीं दे रहा या माजरा कुछ और भी है।
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