राहुल गोस्वामी
चौपाल चर्चा, 26 मार्च 2023
किसानो पर केंद्रित होगा चुनाव..
इस साल के अंत तक में होने वाले विधानसभा चुनाव में किसान केंद्र बिंदु होगा, जिसके आसपास प्रदेश की राजनीती घूमेगी। यह तो सरकार बनने के साटन शुरू हो गया था जब सीएम भूपेश बघेल सरकार में आते ही सबसे पहल काम किसानो का 5000 करोड़ से अधिक कर्ज माफ़ किया था। फिर 2500 रुपये में धान खरीद कर किसानो को गद -गद कर दिया। अब चुनाव में जाने के पहले मुख्यमंत्री ने धान खरीदी की लिमिट और प्रति क्विंटल खरीदी दर भी.. ऐसे में एक बार फिर किसान ही सरकार तय करेंगे। ऐसे में दोनों ही पार्टी किसानो के मुद्दों के आसपास ही घूमती नजर आएँगी।
बीजेपी को झटका-
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक एक कर बीजेपी से हर वह मुद्दा छीन लिया जिस पर बीजेपी अब तक राजनीती करती रही है। राजधानी में माता कौशिल्या का मंदिर, कृष्ण कुंज, गाँवों में रामायण, और अंत में धान खरीदी की लिमिट बढ़ा विपक्षी पार्टियों को सोचने पर मजबूर कर दिया। बीजेपी के पास ज्ञानी और अनुभवी रणनीतिकार है पर इन मुद्दों का फिलहाल तोड़ नहीं है और धान खरीदी के मसले पर बीजेपी नेताओ ने चुप्पी साधना ही बेहतर समझा है। आपस में लड़ते जूझते बीजेपी नेताओ को अब संतो का ही सहारा है।
बृजमोहन के आक्रामक तेवर–
इस सरकार के अंतिम विधानसभा सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्यों ने तेवर दिखाया पर सबसे ज्यादा चर्चा रही बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल की. अग्रवाल ने सरकार और उनके मंत्रियो पर चुन चुन कर वार किया। सरकार को तानाशाह, कमीशनखोर सहित वह सब कह दिया जिसकी उम्मीदे दोनों ही पार्टियों के नेताओ को नहीं थी। श्री अग्रवाल ने सदन में सरकार को घेरने में कसर नहीं छोड़ी और आक्रामक तेवर दिखाए, जिसकी चर्चा भी अंदरखाने होती रही कि आखिर ऐसा क्या हुआ मोहन भैया सरकार से नाराज हो गए।
सेल्समैन की स्कीम..
उच्च शिक्षा विभाग के एक डिप्टी रजिस्ट्रार की शिकायत हुई। जाँच में शिकायत सही पाई गई पर कार्यवाही करने में अधिकारियो के हाथ पाँव फूल गए, अब विभागीय सचिव को पेशी भी दौड़ना पड़ेगा। बताते है कि सचिव ने संबंधित पर कार्यवाही करने पांच से अधिक नोटशीट मंत्री को भेजा पर अधिकांश में नोटशीट ही नहीं लौटी। दरअसल जिस अधिकारी को दोषी पाया गया, उसने कुर्सी बचाने विभागीय मंत्री, स्थानीय सीनियर विधायक और क्षेत्रीय विधायक और स्पीकर हाउस से लेकर हर जगह दौड़ लगाया और सबको सेल्समैन की तरह स्किम समझाया कि मेरे होने से आपको क्या फायदा होगा.. और माननीय आम कस्टमर की तरह लालच में फंस गए। विधानसभा में उससे संबंधित प्रश्न भी लगे। अब इसका नुकसान विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों को उठाना पड़ रहा है।
आयुष्मान भारत में गड़बड़..
केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना आयुष्मान भारत (खूबचंद बघेल आयुष्मान) के स्टेट नोडल अधिकारी की बीते दिनों छुट्टी हो गई। योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और खुले तौर पर कमीशनखोरी की शिकायते थी। अस्पतालों से दस फीसदी कमीशन माँगा जा रहा था, इस शिकायत के केंद्र पर थे स्टेट नोडल अफसर। वे एक साथ कई अन्य विंग के प्रभारी थे और सब में भारी अनियमितताते.. एक में सीबीआई जाँच कर रही और बाकीयो में ऐसी ही कुछ स्थिति है। नोडल अफसर को स्वास्थ्य मंत्री और एक अस्पताल प्रभावशाली संचालक का बेहद करीबी बताया गया, खैर अब कलई खुलने शुरू हुई है तो बाकी राज भी खुलेंगे।
एक ही जन्म में तीन जाति-
सुनने में ताज्जुब होता है पर सही है। स्वास्थ्य विभाग के एक नर्सिंग कॉलेज में पदस्थ एक कर्मी की तीन है और समय समय पर इसका लाभ लिया गया। अविभाजित मध्यप्रदेश में जब लोग रायपुर और दुर्ग जाने के लिए सोचते तक इन्होने इंदौर के देवी अहिल्या बाई से नर्सिंग की पढाई की। प्रदर्शक के रूप में काम शुरू किया था वहा प्रमोशन पाते-पाते एसोसिएट प्रोफ़ेसर का तमगा मिल गया है। शिकायत पर प्रियंका शुक्ला जैसे तेज तर्रार आईएएस ने जाँच किया पर कार्यवाही के पहले वे कलेक्टर बन गई। अब जो कार्यवाही का अधिकार रखते है वह मदमस्त है। बताते है कि वहा आधा दर्जन से अधिक ऐसे कर्मी है जो फर्जी जाति और अन्य प्रमाण पत्रों के सहारे जमा है।
महीनो बाद भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं-
प्रदेश के सबसे बड़े भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में मरने के बाद भी लोगो और उनके परिजनों को सुकून नहीं है। यहाँ मृतकों के परिजनों को कई कई महीने पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिल रहा है। दूर दूर दराज से मृतकों के परिजन रिपोर्ट के लिए परिजन अस्पताल के चक्कर लगाते है पर उन्हें समय पर ना रिपोर्ट मिल रहा ना सही जानकारी। रिपोर्ट नहीं मिलने से मृतकों की मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो रही तो परिजन मिलने वाले अन्य लाभ से वंचित हो रहे। डॉक्टरों में काम का दबाव हो सकता है पर परिजनों की स्थिति भी जिम्मेदार अधिकारियो को समझनी चाहिए। स्वास्थ्य सचिव प्रसन्ना को देखना चाहिए।
