चौपाल चर्चा: अजब गजब समाज कल्याण विभाग, पीएससी की साख पर बट्टा.. और फिल्मो के शौकीन आईएएस।

राहुल गोस्वामी
चौपाल चर्चा, 20 मई 2023.
पीएससी की साख पर बट्टा-
राज्य लोक सेवा आयोग के अफसरो ने पीएससी और सरकार की साख में बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। 2021 के परीक्षा परिणामो जिस तरह गड़बड़िया सामने आ रही, वह अच्छा नहीं है। इन आरोपों से उन लाखो अभ्यर्थियों को धक्का लगा है जो दिन-रात एक कर पढाई करते है, इससे उनमे निराशा का माहौल है तो सरकार की छवि पर भी इसका असर पड़ा है। सरकार बीस हजार से अधिक पदों में भर्ती कर बड़ा संदेश देना चाहती है, ऐसे में इस तरह आरोप ठीक नहीं है खासकर चुनावी साल में..। पीएससी पर उठ रहे सवालो से परे चैयरमेन टामन सिंह सोनवानी बेफिक्र है, वे बीते दिनों परिणाम जारी कर सरगुजा संभाग में बने रिसोर्ट में रिश्तेदारों के साथ घूमने चले गए थे। विधानसभा चुनाव में भी वे किस्मत आजमा सकते है।
अजब गजब समाज कल्याण विभाग-
समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी गजब करते है। यहाँ कुछ महीने पहले संयुक्त संचालक से अपर संचालक पद के लिए पदोन्नति हुई। पदोन्नति के लिए पांच साल का सीआर, चल अचल संपत्ति का विवरण और जाँच शिकायतों की जानकारी महत्वपूर्ण होती है। जिस अधिकारी को पदोन्नत किया गया, उसकी जाँच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो कर रहा, हाईकोर्ट में केस पेंडिंग और दर्जनों शिकायते है, जिस की जाँच कभी पूरी नहीं हुई। पदोन्नति करने संचालनालय के अफसरों ने ऐसी फाइल बनाई की पूछो मत। शासन और पीएससी को भेजे प्रस्ताव में लिखा कि ‘चल अचल संपत्ति की जानकारी डीपीसी के दौरान दी जाएगी’। अफसरों ने अधिकारी की चल रही तमाम जाँच और शिकायतों को निरंक बता पर्दा डाल दिया। 19 से 22.. और चार दिनों में डीपीसी भी पूरी हो गई। अफसरों ने पीएससी के जिस सदस्य की अध्यक्षता में डीपीसी की, उसका भी कार्यकाल सप्ताह भर बाद समाप्त हो गया। उसके बाद भी तुर्रा ऐसा कि कोई भी अधिकारी गलती मानने को तैयार नहीं है।
शैलजा की बैठक-
बीते मंगलवार की सुबह प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा बिना किसी प्रोटोकॉल के राजधानी पहुंची और सीएम हाउस में लंबी बैठक चली तो सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया। अनेक तरह की चर्चाये फैली, बैठक में शामिल मंत्रियो ने भी कुछ ज्यादा मीडिया को नहीं बताया पर, अंदरखाने की चर्चा है कि कुछ गंभीर मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा हुई। जिसका परिणाम आगामी दिनों में दिख सकता है।

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सर्व सुलभ कलेक्टर-
प्रदेश में अगर कलेक्टरों को उनके कार्यो के आधार पर नंबर दिया जाए तो संभवतः राजधानी कलेक्टर को सर्वाधिक अंक मिलेंगे। कलेक्टर साहब ने सप्ताह के दिनों के हिसाब से कार्यो को बाँट रखा है। सोमवार आम लोगो से मिलेंगे तो मंगलवार को टीएल बैठक में अधिकारियो से। गुरु और शुक्रवार दौरा और बाकी दिन भी कुछ वैसा ही। जुलाई को उन्हें राजधानी में एक साल हो जायेगा। एमबीबीएस फिर आईएएस.. वे हर जगह सुलभ ही मौजूद होते है। नवा रायपुर में फरवरी में आयोजित एक राजनीतिक पार्टी के नेताओ का स्वागत करते एयरपोर्ट पर दिखे थे, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ। स्वागत, सत्कार संबंधी प्रोटोकॉल की जानकारी पूछी गई तो जवाब निरंक आया। अब इसे नंबर बढ़ाने वाला तरकीब बताया जा रहा है।
शौकीन आईएएस-
बीते दिनों सीनियर आईपीएस आरिफ शेख कपिल शर्मा शो में दिखे, वे अपनी पत्नी आईएएस शम्मी आबिदी और बच्चो के साथ दिखे। खुद  सेलिब्रेटी है और कपिल के साथ फोटो भी खिचाया। वैसे ही एक आईएएस अफसर है जो घूमने फिरने और फिल्मे देखने के शौकीन है। जब मन हुआ और थोड़ी भी जगह मिली तो गोवा और अन्य अच्छी जगह निकल जाते है। उन्हें राजधानी की नाईट पार्टी और बड़े बड़े मॉल खींच लाते थे, जब भी राजधानी आते तो एक बड़े होटल में मित्र के साथ ठहरते थे। पूर्व में उनके सिनेमा और मॉल भ्रमण की कहानियां चर्चित है।

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स्पा में फंस गए प्रदेश प्रभारी-
राजधानी दौरे पर आये आदमी आम पार्टी के प्रदेश प्रभारी बीते दिनों स्पा सेंटर में फंस गए। वे जिस स्पा में मसाज लेने गए थे, वहा पुलिस पहुंच गई। फजीहत से बचने आनन् फानन में मामला सुलझाया, अब इसकी चर्चा जोरो पर है। पुरे घटनाक्रम का वीडियो सामने आने के बाद डिमांड में है। एक तरफ ‘आप’ आम आदमी की बाते करती है दूसरी तरफ महंगे होटलो में स्पा का मजा..।
मंत्री की चिंता, तो बौने की ठाठ-
एक मंत्री अपनी टिकट को लेकर चिंतित है। वे पिछले दो चुनाव जीत चुकी है पर इस बार टिकट को लेकर सशंकित है। दरअसल विभाग में चल रही 40 फीसदी की गूंज दूर तक पहुंची है। सीएम के निर्देशों के बाद भी कार्यशैली में सुधार नहीं हुआ। वही इस बार उनके विशेष सहयोगी भी साथ नहीं है तो नजदीकी रिश्तेदार भी नाराज बताये जाते है, माहौल पहले जैसा है नहीं, क्षेत्र में भी नाराजगी चरम पर है.. ऐसे में चिंता स्वाभाविक है। उधर उनके ही विभाग में अधिकारी आपस में उलझे हुए है। एक-दूसरे के खिलाफ शिकायते कर रहे, तो एक जेडी पर वर्षो पुराने मामले में डीई बैठ गई है। बताते है कि पूरा तमाशा एक उपसंचालक के इशारे पर हो रहा है, उसने अपनी कुर्सी बचाने सबको उलझा दिया है और सभी आपस में उलझ बैठे है।

 

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