मंत्री से मिला आश्वासन, तो धरना हुआ समाप्त.. सरकार के खिलाफ एबीवीपी का धरना चर्चा में

स्वतंत्र बोल
रायपुर, 23 अगस्त 2024.  पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल को बर्खास्त करने की मांग को लेकर शुरू हुआ अखिल भारतीय विद्यार्थी परीक्षा का धरना का शुक्रवार दोपहर को कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा के आश्वासन से समाप्त हो गया। एबीवीपी के पदाधिकारी गुरुवार दोपहर से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के मुख्य द्वार के सामने धरना पर थे, जिस पर सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कैबिनेट मंत्री श्री वर्मा ने मिलकर 1 सप्ताह के भीतर कार्यवाही का अश्वासन दिया, जिसके बाद धरना समाप्त हुआ। मंत्री श्री वर्मा को शैलेन्द्र पटेल के फर्जीवाड़े की कहानी जब एबीवीपी ने दस्तावेजों के साथ बताया मंत्री अवाक् रहे, मंत्री ने कहा अब तक तो कार्यवाही हो जानी थी.. पर दुर्भाग्य है अब तक ना तो निलंबन हुआ ना ही बर्खास्तगी।

एनएसयूआई के विरोध के मायने- –
शैलेन्द्र पटेल के खिलाफ शुक्रवार को धरना शुरू होने के खबरे जैसे ही सरकार तक पहुंची, हड़कंप मच गया। बताते है कि गुरुवार शाम एसडीएम, तहसीलदार और बैकडोर से कुलपति बने फैजाबाद निवासी डॉ. सच्चिदानंद शुक्ला धरनारत पदाधिकारियों से मिलने पहुंचे थे, जिस पर एबीवीपी के पदाधिकारियों ने शुक्ला से बात करने से ही इंकार कर दिया। कुलपति शुक्ला को शैलेन्द्र पटेल का सरंक्षक बताया जाता है। उधर एबीवीपी के धरना शुरू होते ही शैलेन्द्र पटेल ने हाथ पैर मारना शुरू कर दिया था, पटेल के बचाव में एनएसयूआई के पदाधिकारी सामने आये। एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष शांतनु झा ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि
“श्री पटेल जो ओबीसी समुदाय से आते है ने अपने कार्यकाल में के दौरान विश्वविद्यालय में छात्रों के हितो के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है, उन्होंने छात्रवृत्ति के वितरण में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की है। इसके लावा उन्होंने शिक्षा के स्तर को सुधारने काम किया है।”
विश्वविद्यालयीन सूत्रों के अनुसार एनएसयूआई का प्रेस रिलीज भी पटेल पटेल से प्रेरित था।

दरअसल शैलेन्द्र कुमार पटेल ने स्वयं के फर्जीवाड़े को दबाने और कार्यवाही को रोकने साम दाम दंड भेद की हर नीति अपनाया और पिछले दो सालो से तीन अलग अलग जांचो में फर्जीवाड़े की पुष्टि होने के बाद भी प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय का प्रभारी कुलसचिव बना हुआ है। पटेल के पूर्व की सरकार के राजनितिक सरंक्षण में फर्जीवाड़े को उजागर करने वाले पत्रकार के खिलाफ झूठा एफआईआर दर्ज कराया.. तो उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियो पर राजनितिक दबाव डलवाया, उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन आयुक्त और सचिव की व्यक्तिगत हाईकोर्ट में पेशी करा दिया।

बीजेपी सरकार में एबीवीपी को धरना की नौबत क्यों-
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद लोगो को भ्रष्ट, अयोग्य और एक राजनीतिक विचारधारा के प्रति समर्पित कर्मियों पर कार्यवाही की उम्मीद है, पर कार्यवाही की धीमी गति से लोगो के मन में आशंका उत्पन हो रही है। एबीवीपी ने तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को तीन महीना पहले ज्ञापन के माध्यम से कार्यवाही का निवेदन किया था.. पर कार्यवाही नहीं हुई। उल्टे बृजमोहन अग्रवाल प्रभारी कुलसचिव ने साथ सार्वजानिक कार्यक्रमो में मंच साझा करते दिखे थे। चर्चा है कि शैलेन्द्र पटेल को एक युवा मंत्री के साथ एक कॉलेज के प्रोफेसर का साथ मिल रहा है, दरअसल प्रोफ़ेसर का आरएसएस में अच्छी पकड़ है, ऐसे में प्रोफ़ेसर के माध्यम से कुर्सी बचाने की कोशिश जारी है।

धरना विराम, समाप्त नहीं-

अनिश्चितिकालीन धरना के समाप्ति पर एबीवीपी के प्रदेश मंत्री यञदत्त वर्मा ने कहा कि ” अगर सरकार ने शीघ्र कार्यवाही नहीं की टी विद्यार्थी परिषद् बड़ा और उग्र आंदोलन करेगा, जिसका सीधा निशाना विश्वविद्यालय प्रशासन और प्रदेश की सरकार होगी.. विश्वविद्यालयो में भ्रष्टाचार जड़ से समाप्त होना चाहिए, जब तक भ्रष्टाचारी लोग पद में रहेंगे शिक्षा का माहौल दूषित होता रहेगा।”

 

अयोग्य कर्मी को हटाने बीजेपी की सरकार में एबीवीपी को देना पड़ रहा धरना, प्रदेश मंत्री बोले- “जब तक हटेगा नहीं, धरना चलता रहेगा”

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