रायपुर 16 जुलाई 2023: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा, अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती भारतीय जनता पार्टी भूपेश बघेल सरकार को मान कर चल रही है। यही कारण है कि अब राज्य से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक ने राज्य सरकार की घेराबंदी की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ की खास अहमियत है क्योंकि यह ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस सबसे ज्यादा मजबूत है और इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रही है।
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वहीं भाजपा इस राज्य को अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानकर चल रही है, लिहाजा पार्टी ने नई रणनीति पर काम करते हुए भूपेश बघेल की सरकार को ही घेरने की दिशा में कदम तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया है। राज्य की सियासी स्थिति पर गौर करें तो एक बात साफ होती है कि 90 विधानसभा सीटों में से 71 पर कांग्रेस का कब्जा है, वहीं भाजपा के पास 14 विधायक हैं। इसके अलावा लोकसभा की 11 सीटों में से नौ पर भाजपा का कब्जा है तो दो कांग्रेस के खाते में है।
नगरीय निकाय और पंचायतों मैं भी कांग्रेस काफी आगे है, भाजपा से। राज्य में कांग्रेस को अगर शिकस्त देना है तो भूपेश बघेल सरकार और उनके भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाना होगा, यह भाजपा जान चुकी है। भाजपा की रणनीति पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि एक तरफ जहां प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष में पार्टी ने बदलाव किया है तो वहीं राष्ट्रीय नेतृत्व की सक्रियता भी बढ़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बीते दिनों राज्य का दौरा हो चुका है। राष्ट्रीय नेतृत्व की बढ़ी सक्रियता इस बात का संकेत दे रही है कि पार्टी राज्य की स्थिति को लेकर न केवल गंभीर है बल्कि पहले विधानसभा और उसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हर मोर्चे पर घेरने की कोशिश करने वाली है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के अलावा राज्य के तमाम बड़े नेता कोयला, रेत, नान घोटाले का जिक्र कर सरकार पर हमला बोल रहे हैं। इतना ही नहीं राज्य से बाहरी लोगों को राज्यसभा में भेजे जाने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ को भूपेश बघेल सरकार ने बर्बाद कर दिया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी द्वारा कांग्रेस के खिलाफ आंदोलन चलाने की अब तक जितनी भी कोशिशें हुई हैं उन्हें आम जनता का साथ नहीं मिला, लिहाजा राष्ट्रीय नेतृत्व ने राज्य की अपरोक्ष रूप से कमान संभाल ली है और राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए अभियान को भी गति दी जा रही है ।
इसका साफ उदाहरण है कि राज्य में राष्ट्रीय नेतृत्व का न केवल लगातार दखल बढ़ रहा है बल्कि दौरे भी बढ़ रहे हैं। भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहतर करने के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव को लक्ष्य मानकर चल रही है।

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