रायपुर, 30 जून 2023: कबाड़ व्यवसायियों की गिरफ्तारी के मामले में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। इन काराबोरियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया गया था। जमानत खारिज होने के बाद उन्हें रिमांड पर जेल भेज दिया गया था। चीफ जस्टिस की बेंच ने सीआरपीसी के सेक्शन 41 (1) (डी) की व्याख्या करते हुए दोनों याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि गिरफ्तारी और जमानत देने के प्रावधानों का पुलिस और ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कड़ाई से पालन करें। कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को यह आदेश दिया कि आदेश की कॉपी डीजीपी, सभी आईजी, सभी एसपी और पुलिस अधिकारियों को भेजी जाए।
दरअसल, कोरबा के सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र के कबाड़ कारोबारी मुकेश साहू और आशीष मैती को 20 फरवरी 2021 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तत्कालीन चौकी प्रभारी कृष्णा साहू ने इन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर रिमांड की मांग की. कोर्ट ने 5 मार्च 2021 तक के लिए रिमांड भी दे दी। दोनों आरोपियों ने जमानत आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। बाद में दोनों आरोपियों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी।
इसके बाद दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में धारा 226 के तहत डब्ल्यूपीसीआर याचिका दायर कर कहा कि पुलिस ने मनमाने और अवैधानिक तरीके से गिरफ्तारी की है. पुलिस ने चोरी का समान रखने और बिक्री करने का आरोप लगाकर बिना वारंट के गिरफ्तार किया है। मानसिक और शारीरक प्रताड़ना भी दी है। इसके लिए 5-5 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की मांग की। याचिका में तत्कालीन चौकी प्रभारी कृष्णा साहू को भी पार्टी बनाया गया था। मामले पर फैसला देते हुए हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने क्षतिपूर्ति के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने का आदेश दिया है।
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